ओम प्रकाश-
उत्तरप्रदेश में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से राजनीति में कई धारणाएं ध्वस्त हो गयी तो दूसरी तरफ हिन्दुत्व की छवि वाले नेताओं के लिए अवसर बढ़ गए हैं. दरअसल योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने से एक पंथ दो काज हो गए. पहला ये कि कट्टर हिंदुत्व की छवि वाले नेता भी राज्य के सर्वोच्च कुर्सी पर बैठ सकते हैं. दूसरा कि जाति का कोई अस्तित्व नहीं, योगी के रूप में एक सवर्ण भी राज्य का मुख्यमंत्री बन सकता है. हालाँकि ऐसा कुछ वक़्त पहले तक मुमकिन नहीं लगता था क्योंकि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने राजनीतिक समीकरणों की चकरी को कुछ ऐसे घूमा दिया था कि इसकी संभावना ही मृतप्राय हो गयी थी.
बहरहाल वापस असल मुद्दे पर आते हैं और उत्तप्रदेश से प्रभावित बिहार के मुद्दे पर लौटते हैं. बिहार और उत्तरप्रदेश देश की राजनीति पर असर डालते हैं और दोनों राज्य एक-दूसरे से सटे होने के कारण एक-दूसरे को राजनीतिक रूप से बहुत ज्यादा प्रभावित करते हैं. योगी आदित्यनाथ का उ.प्र. के मुख्यमंत्री बनने का सीधा प्रभाव बिहार की राजनीति पर दिखाई देने लगा है. भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को बात समझ में आ गयी है कि बिहार की जातिगत जटिलताओं को ‘हिन्दुत्व’ के जरिये ही काटा जा सकता है. इसका सीधा फायदा गिरिराज सिंह को मिल रहा है और अगले चुनाव के मद्देनज़र उन्हें भाजपा की तरफ से बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करने की बात उठने लगी है. उनके चाहने वाले भी ये नारा बुलंद करने लगे हैं कि, “यूपी में #योगी राज और बिहार में #गिरिराज”
केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के हाव-भाव में बड़ा परिवर्तन आया है और वे पहले से ज्यादा आक्रामक मुद्रा में नज़र आ रहे हैं. हिन्दुत्व से जुड़े हरेक मुद्दे पर मुखर होकर बयान दे रहे हैं और सुर्खियाँ बनाने में भी कामयाब हो रहे हैं. उनका बिहार का दौरा भी बढ़ गया और शोभायात्रा के बहाने इस बार वे रामनवमी अवतार में भी नज़र आये. नवादा से लेकर आरा तक या यूँ कह लीजिये कि पूरे बिहार में उनकी ही धूम रही. राष्ट्रीय मीडिया ने भी उनकी खबर को प्रमुखता दी. उन्होंने भी इस मौके का भरपूर सदुपयोग किया और रामनवमी के बहाने नीतीश कुमार की अगुवाई वाले गठबंधन की बिहार सरकार को जमकर घेरा और नवादा में धरना कर प्रशासन की परीक्षा तक ले डाली. इस बीच नीतीश कुमार से रामनवमी शोभायात्रा के मंच पर हुई उनकी बहस की भी अच्छी-खासी चर्चा हुई. अंत में उन्होंने ये कहकर बिहार सरकार को बैकफूट पर धकेल दिया कि नीतीश कुमार उन्हें प्रोटोकॉल के तहत सुरक्षा मुहैया नहीं कराकर उनकी हत्या की साजिश रच रहे है. मिला-जुलाकर गिरिराज सिंह का रामनवमी अवतार ख़ासा चर्चा में रहा और आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति किस दिशा में जाएगा, उसका संकेत भी दे गया. बहरहाल इस रामनवमी अवतार से गिरिराज सिंह को एक और फायदा हुआ तो नीतीश कुमार दहशत में आ गए.
(लेखक कॉर्पोरेट जगत में कार्यरत हैं. लेकिन राजनीति में गहरी दिलचस्पी रखते हैं)