गांजा पीने का सहुर नहीं, चले हैं महादेव बनने




 

ajay-devgan-shivayकुछ घंटे पुरानी मुलाकात। हिमालय पर चढ़ाई की पूर्व संध्‍या। सोलह हज़ार फुट पर स्थित एक बेस कैंप की बॉन फायर। विदेशी ट्रेकर महिला बर्फीली वादियों में चिलम से धुआं छोड़ते अपने प्रशिक्षक से उसका नाम पूछती है। ‘शिवाय’! ”अच्‍छा, तो तुम्‍हारे पास शिव जैसी क्‍या-क्‍या चीज़ है?” नायिका ने जो-जो पूछा, नायक ने वो-वो दिखाया। जो नहीं पूछा, वो भी दिखाया लेकिन प्राइवेट में। बस। कहानी खतम।

ajay-devgan-shivay2सदियों से बनारस के लड़के यही पैंतरा आज़माते आ रहे हैं। अजय देवगन को बुढ़ापे में ये सब सूझ रहा है। उनकी जगह कोई बनारसी लौंडा होता तो इस सवाल पर चीख पड़ता याsss…रज्‍जाsss, लेकिन अपना नायक तो जबरन गंभीर बना बैठा रहा। शिव के नाम पर करेंगे वही सब, लेकिन मुद्रा ऐसी बना लेंगे जैसे दुनिया के सबसे बड़े ज्ञानी हों।

वैसे तो अजय देवगन को तत्‍काल प्रभाव से आसपास की किसी पहाड़ी पर चढ़कर बिना कांटा फंसाए कूद जाना चाहिए, लेकिन अपनी इज्‍जत बचाने का उनके पास एक तरीका है। जिस तरह बुल्‍गारिया में गायब बच्‍चों को उन्‍होंने बहत्‍तर घंटे में खोज निकाला, वैसे ही दिल्‍ली आकर नजीब का पता लगावें। गांजा पीने का सहुर नहीं, चले हैं महादेव बनने।

(पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव के एफबी वॉल से )




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