सैयद एस तौहीद @ passion4peral@gmail.com
खुफिया तंत्र एवं आतंकवाद को समानांतर परखने का जबरदस्त नजरिया देखने के लिए BABY देखें
बालीवुड की युवा पीढ़ी में फिल्मकार नीरज पांडेय ने कम समय में अलग मुकाम बना लिया है .नीरज के फिल्मों की पटकथा उनकी खासियत कही जानी चाहिए. तकनीकी रूप से वो दुरुस्त नजर आती हैं. आम आदमी की तकलीफ एवं उससे उपजा विद्रोह को हम उनकी A WEDNESDAY से याद रख सके हैं.आपकी अगली फ़िल्म SPECIAL 26 में नकली सरकारी महकमा एवं अफसरों की टीम पर कहानी दिखाई गयी. वो एक गंभीर संकट की परत दर परत तफ्तीश करने वाली पहल लेकर आई थी. देशभावना पर गंभीरता से काम करने वाले लोगों में नीरज की सराहना की जानी चाहिए. देशभावना के धागे से गुथी उनकी हालिया BABY आतंकवाद के खिलाफ खुफिया मिशन से जुड़े लोगों की कहानी कह रही . आतंकवाद का खात्मा करने का लक्ष्य लेकर चल रहा यह मिशन पहचान छुपा काम कर रही. यह ऐसे वीरों की कहानी है, जो देश के लिए जीना चाहते हैं। डैनी डेंजोग्पा के फिरोज अली खान BABY नामक खुफिया मिशन के प्रभारी हैं. उनके साथ वीर आफिसर्स की एक टीम इस बात के लिए सदा तैयार मिलेगी जोकि वो अगर कभी पकड़े या शहीद हो जाएं तो सरकार उनसे किसी प्रकार के संबंध नहीं होने का दावा कर लेगी। कटु परिस्थिति के बावजूद वे देशहित में जान भी गंवा देने को हाजिर थे। फिरोज के लफ्जों में…मिल जाते हैं कुछ ऑफिसर्स हमें, थोड़े पागल, थोड़े अडिय़ल, जिनके दिमाग में सिर्फ देश और देशभक्ति घूमती रहती है…यह देश के लिए मरना नहीं चाहते, बल्कि जीना चाहते ताकि आखिरी सांस तक देश की रक्षा कर सकें. ऐसे ही वतनपरस्त दीवाने अधिकारियों की टीम BABY देश के ऊपर से असुरक्षा का खतरा मिटाने की रोमांचक मुहिम पर भेजी जाती हैं.
मिशन के अधिकारी अपनी पहचान छिपाकर काम कर रहे. देशसेवा के लिए मर मिटना इनका जूनून था. .देश की सुरक्षा मकसद था .फिरोज अली को एक बार उन्हें पता चलता है कि इस्तानबुल में आंतकवादियों ने दिल्ली में बम विस्फोट करने की योजना बनाई है . इस केस पर वो अपने सीनियर आफिसर अक्षय कुमार को नियुक्त करते हैं .तफ्तीश के दौरान अक्षय को पता चला कि उन्हीं का ऐजेंन्ट जमाल यानि करण गुप्ता दुश्मनों से मिला हुआ है. जमाल की मुखबरी के कारण मिशन का एक एजेंट दुश्मनों के हत्थे चढ़ गया . अक्षय अपने एजेंट को तो नहीं बचा पाता लेकिन जमाल को पकड़ उससे ये पता लगाने में सफल रहा कि राजधानी दिल्ली में विस्फोट की साजिश रची गई थी.मिशन के लीड अफसर अक्षय खतरनाक आतंकवादी (मेनन) को उसके अंजाम तक पहुंचना था आतंकवादियों का सरगना रहमान यानि राशिद नाज़ को मेनन चाहिये । वो उसे किसी तरह आजाद करवा लेता है. मेनन आतंक गतिविधयों के लिए फंड का इंतजाम करने में माहिर था. किसी भी तरह उस तक पहुंचना बहुत जरूरी रहा क्योंकि भारत में कई जगह भयंकर वारदातें होने का खतरा था. इसकी योजना बनाई जा रही थी. मेनन को पकड़ कर उसको रोकना था .केस सुलझाने की एक महत्वपूर्ण कड़ी नेपाल में सुशांत सिंह का किरदार था. युवा एजेंट तापसी पन्नू के जरिए इसमें सफलता मिली .नेपाल की इस कड़ी के जरिए पता लग गया कि सउदी अरब में आतंकियों की फंडिंग डील होने जा रही. अक्षय को मेनन के अलावा उनका सरगना रहमान भी हाथ लग गया .सहयोगियों की मदद से वो रहमान को भारत ला कर मिशन को पूरा करता है. कहानी में नएपन की तालाश डायरेक्शन एवं ट्रीटमेंट में की जानी चाहिए। कलाकारों के चयन में निर्देशक और कास्टिंग डायरेक्टर की परिपक्वता कहानी को वो रूप दे सकी जिस तरह की चाहत रही होगी. फ़िल्म की कास्टिंग प्रस्तुती को मजबूत बना रही. पटकथा भी एक मजबूत पक्ष नजर आ रहा . बारीकी से लिखे घटनाक्रम दर्शको को कभी विमुख होने से रोकने में कामयाब है. फ़िल्म की रफ्तार इसकी खासियत कही जानी चाहिए क्योंकि वो कथन को असरदार बना रहा. BABY से जुडा ज्यादतर पहलु परफेक्शन के बहुत करीब का मालुम पड़ेगा. फ़िल्म लेकिन मुस्लिम आतंकवाद की अवधारणा को भी मजबूत कर रही! खुफिया तंत्र एवं आतंकवाद को समानांतर परखने का जबरदस्त नजरिया देखने के लिए BABY देखें.