मीडिया के लिए किसान तभी खबर बनते हैं जब वे आत्महत्या करते हैं या फिर वे चुनावी मुद्दे बनते हैं. उसके अलावा वे कभी सुर्खियाँ नहीं बनते. इसी बात की ओर इशारा करते हुए पी साईनाथ ने कहा कि देश के किसान अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं, जबकि देश का अधिकांश मीडिया हाउस प्रभावशाली 5 प्रतिशत लोगों की रिपोर्टिंग करने में लगा हुआ है।
उन्होंने आगे कहा कि मीडिया संस्थानों में कृषि बीट कवर करने वाले संवाददाता बदहाल किसान को छोड़कर कृषि मंत्री की रिपोर्टिंग करने में जुटे रहते हैं. वरिष्ठ पत्रकार स्व. प्रभाष जोशी की याद में रविवार को गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति राजघाट में किसान और मीडिया विषय पर आयोजित संगोष्ठी में वरिष्ठ पत्रकार पी. साईंनाथ ने यह बात कही।
पी. साईनाथ ने मीडिया में किसानों की उपेक्षा होने का आरोप लगाते हुए कहा कि मीडिया भी सरकार की नीति निर्धारकों की भेड़चाल में मशगूल हो गया है. उन्होंने मीडिया में किसानों की रिपोर्टिंग से जुड़ी तथ्य पेश करते हुए कहा कि अखबार के पहले पेज और टेलीविजनों हेडलाइन की स्टोरी में 1 प्रतिशत से भी कम खबरें किसानों से जुड़ी होती हैं।
मीडिया रेवेन्यू बेस पर चलने वाला एक प्रोडक्ट बन गया है. किसानों में इसे वो रेवेन्यू नजर नहीं आता. आज 1.2 बिलियन लोगों के देश के कथित नेशनल डेलीज में ज्यादातर में एग्रीकल्चर करस्पोंडेंट ही नहीं है. जिन कुछेक मीडिया घरानों में ये पोस्ट है, उनमें भी फील्ड में जाने की जगह केवल सरकारी आंकडों, विज्ञप्तियों और कृषि मंत्रियों को कवर करने पर ध्यान दिया जाता है।
साईंनाथ के मुताबिक जब उन्होंने पत्रकारिता ज्वाइन की थी, तब हर अखबार में लेबर करस्पोंडेंट और एग्रीकल्चर करस्पोंडेंस हुआ करते थे. धीरे-धीरे ये ओहदे खत्म कर दिए गए. ऐसे में इन क्षेत्रों में अच्छी समझ के लोगों की कमी हो गई है। अब लोग आंकड़ों को तक अच्छे से प्रोसेस नहीं कर पाते हैं. इसके चलते किसानों की समस्याओं को ठीक ढंग से सामने नहीं लाया जाता।
दूसरा कारण बताते हुए साईंनाथ ने कहा कि जो थोड़े लोग लिखने की काबिलियत रखते हैं उन्हें इस फील्ड में कम रेवेन्यू मिलने के कारण बहुत ज्यादा मौके नहीं मिल पाते. इस तरह ये स्टोरीज दब जाती हैं।
इसके अलावा दिल्ली की खबरों को अलग कर दें तो देश के अधिकांश राज्यों की खबरें भी नगण्य होती है. इस मौके पर स्व.प्रभाष जोशी पर आधारित किताब ‘लोक का प्रभाष’ का विमोचन भी हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. विश्वनाथ त्रिपाठी ने की. इस मौके पर प्रभाष जोशी की जीवनी ’लोक का प्रभाष ’ पुस्तक का लोकार्पण हुआ। जबकि वरिष्ठ पत्रकार हरिवंश प्रमुख वक्ता के तौर पर उपस्थित थे. कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री मनोज सिंहा, राजकमल समूह के प्रकाशक अशोक माहेश्वरी के अलावा वरिष्ठ पत्रकार और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय समेत बड़ी संख्या में मीडिया और साहित्य जगत से जुड़े लोग शामिल थे। (स्रोत – विविध)