लोकसभा चुनाव के दौरान इस बार मीडिया की भूमिका भी खासी सवालों में रही, जहां कई लोग इसकी तटस्थता पर सवाल उठाते देखे गए। तो प्राइम टाइम में आज इसी सवाल पर एक चर्चा कि क्या इस चुनाव में मीडिया ने पक्षपात किया?कल जब सारे चैनलों पर एग्जिट पोल की बहार थी एनडीटीवी इंडिया पर चुनाव में मीडिया के पक्षपात पर रवीश कुमार परिचर्चा कर रहे थे. देखिए पूरा कार्यक्रम :
कभी यह कहा जाता था कि साहित्य समाज का दर्पण है / फिर कहा जाता था कि सिनेमा समाज को दिखता है / बाद मे कहा जाने लगा कि सिनेमा से समाज प्रवाहित हो रहा है यही बात टीवी सीरियल के लिए कही जाती रही / दर्शको कि प्रितिकिरया थी कि टीवी नारी को सही तरीके से नहीं दिखा रहा है / आज यही बात टीवी चैनल पर लागु हो रही है / रविश कुमार जो हमेशा विचारो कि खुली बहस करते है वो भी अपने फेस बुक पेज का कमेंट बॉक्स ब्लॉक (बंद) रखते है ताकि कोई उनके खिलाफ कमेंट न कर दे/ टीवी पर चर्चा करने वाले तमाम विश्लेषकों को यह समझना होगा कि पिछले एक साल से मोदी कि जबरदस्त बुराई करने के बाद भी उनका दर्शको पर कोई असर नहीं हुआ /
यह चुनाव मोदी ने अकेले लड़ा चाहे उनकी अपनी पार्टी हो या और विरोधी दल / इस बात को भी समझना होगा कि आज देश मे तमाम दल भी अपना काफी आधार रखते है जो कि पहले नहीं था / उन सबके के बाद भी अगर मोदी अपने दम पर बहुमत ले आते है तो बाकई यह मोदी लहर है. /
रविश जी आपको भी देश का मूड समझना होगा अगर आप मोदी के पक्ष मे हुई पचास प्रतिशत वोटिंग को नहीं मान कर मोदी को गाली देते है तो इसका मतलब है आप आधे देश कोस रहे है /
कभी यह कहा जाता था कि साहित्य समाज का दर्पण है / फिर कहा जाता था कि सिनेमा समाज को दिखता है / बाद मे कहा जाने लगा कि सिनेमा से समाज प्रवाहित हो रहा है यही बात टीवी सीरियल के लिए कही जाती रही / दर्शको कि प्रितिकिरया थी कि टीवी नारी को सही तरीके से नहीं दिखा रहा है / आज यही बात टीवी चैनल पर लागु हो रही है / रविश कुमार जो हमेशा विचारो कि खुली बहस करते है वो भी अपने फेस बुक पेज का कमेंट बॉक्स ब्लॉक (बंद) रखते है ताकि कोई उनके खिलाफ कमेंट न कर दे/ टीवी पर चर्चा करने वाले तमाम विश्लेषकों को यह समझना होगा कि पिछले एक साल से मोदी कि जबरदस्त बुराई करने के बाद भी उनका दर्शको पर कोई असर नहीं हुआ /
यह चुनाव मोदी ने अकेले लड़ा चाहे उनकी अपनी पार्टी हो या और विरोधी दल / इस बात को भी समझना होगा कि आज देश मे तमाम दल भी अपना काफी आधार रखते है जो कि पहले नहीं था / उन सबके के बाद भी अगर मोदी अपने दम पर बहुमत ले आते है तो बाकई यह मोदी लहर है. /
रविश जी आपको भी देश का मूड समझना होगा अगर आप मोदी के पक्ष मे हुई पचास प्रतिशत वोटिंग को नहीं मान कर मोदी को गाली देते है तो इसका मतलब है आप आधे देश कोस रहे है /