दिलीप मंडल
इंडिया टुडे में एक्जिक्यूटिव एडिटर पद के लिए मेरा इंटरव्यू.
एम.जे. अकबर- क्या आप हिंदी इंडिया टुडे पढ़ते हैं? पिछला इश्यू आपको कैसा लगा?
जवाब- नहीं. मैं हिंदी की कोई मैगजीन नहीं पढ़ता. हिंदी के न्यूजपेपर भी नहीं पढ़ता.
अरुण पुरी (इंग्लिश में) – आप इंटरव्यू देने आए ही क्यों हैं. आप हिंदी की मैगजीन कैसे चला पाएंगे?
जवाब- क्योंकि मुझे मालूम है कि मैं हिंदी की मैगजीन क्यों नहीं पढ़ता. मैं चला लूंगा.
आप जानते हैं कि मुझे यह काम मिल गया. दो साल में प्रमोट करके मुझे मैनेजिंग एडिटर बना दिया गया. इंडिया टुडे हिंदी पत्रिका में मैं पहला मैनेजिंग एडिटर बना. शायद इसी लिए कि मुझे मालूम था कि मैं हिंदी के समाचार पत्र और पत्रिकाएं क्यों नहीं पढ़ता.
(टिप्पणीकार पूर्व में इंडिया टुडे के मैनेजिंग एडिटर के पद पर कार्यरत थे) @fb