एनडीटीवी इंडिया और रवीश कुमार को लेकर पिछले कुछ समय से वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल काफी मुखर हो गए हैं. उ.प्र.चुनाव के संदर्भ में भी वे एनडीटीवी की रिपोर्टिंग पर लगातार सवाल उठा रहे हैं.इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए आज उन्होंने रवीश कुमार पर निशाना साधा है. वे लिखते हैं –
दिलीप मंडल-
NDTV के रवीश कुमार हर दिन आधा घंटा सेकुलरिज्म करते हैं। फिर बिहार चुनाव आता है और पूरा चैनल कम्यूनल होकर बीजेपी का प्रचार करने लगता है।
लेकिन रवीश को उसके मालिक अब भी सेकुलरिज्म करने देते हैं।
कुछ समय बाद असम चुनाव में एनडीटीवी फिर कम्यूनल हो जाता है। लेकिन रवीश इसके बाद भी सेकुलरिज्म करता रहता है।
उस बीच सरकार एनडीटीवी पर एक दिन का बैन लगाकर उसे लागू नहीं करती। चैनल लोगों की नज़र में भरोसेमंद हो जाता है।
उसके बाद यूपी चुनाव में पूरा चैनल फिर बीजेपी की हवा बनाने में जुट गया है।
RSS की सारी साइट्स लिख रही हैं – “मोदी की सबसे बड़े विरोधी NDTV बता रही है कि बीजेपी यूपी में जीत रही है।”
रवीश को उसके मालिक आगे भी सेकुलरिज्म करते रहने दे सकते हैं।
मीडिया एक सिस्टम है। भरोसेमंद दिखते रहना उसकी ज़रूरत। रवीश जैसे प्यादों की ज़रूरत होती है। रवीश का सेकुलरिज्म शक के दायरे में नहीं है। लेकिन वह एक सिस्टम को ही मज़बूत बना सकता है।
स्टूअर्ट हॉल को पढ़िए। लेख का नाम है The Whites of Their Eyes. मीडिया सिस्टम को समझने में मदद मिलेगी।