जस्टिस काटजू सामान्य शिष्टाचार की हदें पार करते जा रहे हैं, जैसे वे प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष ना होकर कांग्रेस पार्टी के घोषित प्रवक्ता हों। कल उन्होंने दीपक चौरसिया को गेट आउट तक कह डाला। चौरसिया पीसीआई के दफ्तर में काटजू का इंटरव्यू करने गए थे और एक सवाल के जवाब में जब चौरसिया ने आधा-अधूरा सच कहा तो लगभग आपे से बाहर आते हुए उसे मैनर सीखने की हिदायत दे डाली, जबकि वे शांत भाव से या तो चुप रह सकते थे या नो कमेंट्स भी कह सकते थे। अब वो कह रहे हैं कि निजी हैसियत से लेख लिखा है। राजनीति में काटजू से पूछकर लोग आयें। वे कश्मीरी पंडित हैं, लेकिन कभी भी कश्मीरी पंडितों की आवाज़ नहीं उठायी और सदा अपने व्यक्तिगत हितों को तरजीह देते रहे। ऐसे व्यक्ति से क्या उम्मीद की जा सकती है।
(हरेश कुमार के फेसबुक वॉल से )
मारकंडे बाबा कैसे भी हों, दाएं या बाएं या बीच में, लेकिन क्लास सही लेते हैं। उन्हें दीपक बाबा को डांटते देख कर दिल गार्डेन गार्डेन हो गया। देखिए कितने बेहया हो गए हैं सब, हत्यारे के चैनल से पैसा लेते हैं और अर्धसत्य की बात करते हैं। सबसे पहले तो ऑक्युपाई मीडिया का आंदोलन चलाना चाहिए, वॉल स्ट्रीट आदि तो दूर की चीज़ है।
(अभिषेक श्रीवास्तव के फेसबुक वॉल से )
इसमें कोई दो-राय नहीं कि काटजू जी ने अमर्यादित व्यवहार किया है , मगर दीपक चौरसिया जिसे बिकाऊ और गंदगी फैलाने वाले पत्रकार का सामाजिक बहिष्कार भी ज़रूरी है ! पैसे फेंको तो दीपक जैसे पत्रकार किसी भी अपराधी के पक्ष में हवा बनाने में लग जाते हैं ! श्री काटजू जी को अपने अमर्यादित व्यवहार के लिए खेद प्रकट करना चाहिए और दीपक जैसे बिकाऊ पत्रकार का बहिष्कार !