ऩिखिल कुमार
प्याज का दर्द या न्यूज चैनल पर आने की खुशी…..
पूरे दिन की भाग-दौड़ के बाद के घर आकर टीवी आन किया तो इंडिया न्यूज पर “प्याज का रियलेटी चेक” दिखाया जा रहा था। एंकर अनुराग मुस्कान के मेरठ में महंगी प्याज की रिपोर्ट दिखाने की बात तक तो सब सही था, लेकिन मेरठ के रिपोर्टर की लोकेशन देखते ही माथा ठनक गया।
दरअसल मेरठ के ये रिपोर्टर जी.. महंगी प्याज से परेशान होते आम आदमी की रिपोर्ट दिखाने एक आलीशान बंगले के बाहर कुछ महिलाओं(सारी महिलायें सम्रद्ध परिवारों से लग रहीं थीं, शायद किसी बड़े क्लब की मेम्बर होंगी) के साथ खड़े थे, जब रिपोर्टर ने महिलाओं से बात की तो उन्होंने बड़ी स्माइल के साथ दर्शकों को ऩमस्कार किया और खुद का परिचय दिया,किसी ने कहा प्याज के कारण मीनू चेंज करना पड़ता है, तो दूसरी महिला अपने मुहावरों के साथ ये कहती नजर आयी कि प्याज के बिना सब्जी टेस्टी नहीं रहती। किसी महिला के चेहरे पर प्याज के आंसू तो नहीं थे, हां.. टी.वी. पर आने की खुशी जरुर थी।
**वास्तविकताः प्याज तो गरीब की “राष्ट्रीय़ सब्जी है”, फर्क तो उन्हें ही पड़ेगा, प्याज-रोटी की जगह सिर्फ रोटी जो खायेंगे.
दीपक चौरसिया के ब्रांड वाले इंडिया न्यूज के इस रिपोर्टर से मेरा यह सवाल है कि क्या किसी सब्जीमण्डी में जाकर किसी गरीब आदमी की बाइट नहीं ली जा सकती थी…?? या फिर ऊपर से टी.वी. पर “अच्छे चेहरे” दिखाने का प्रेशर था…. ??
आप जैसे बुद्धिजीवी और ब्रांडेड पत्रकारों से उम्मीद और अपील करता हूं कि क्रपया रियलिटी चेक के नाम पर “स्माइल चेक” ना दिखायें।
सधन्यवादः
पत्रकार ऩिखिल कुमार
humare jaiso ke pass aa jaate jo namak roti ke saath pyaaj khaate hai ab wo bhi nahi ……