निमिष कुमार
सबसे पहले धन्यवाद सोशल मीडिया का। जिसने जर्नलिज्म के नाम पर धब्बा लगाने वालों को सरेआम बेपर्दा कर दिया। इतना गरियाये कि सदमा लग गया। बहुत खूब। लेकिन ये सदमा बार-बार, हजारों बार, बहुतों को लगना चाहिए। तभी इस देश के न्यूज़ चैनलों को लेकर हमेंं पड़ने वाली गालियां कम होगी। कोई जरुरत नहीं है ऐसे लोगों से सहानभूति की। सबको सीधे रिपोर्टिंग चाहिए, एंकरिंग चाहिए। पढ़ने का कहों, तो इल्जाम हाजिर, साब एंकरिंग, रिपोर्टिंग के लिए सेक्सुअल हरासमेंट हुआ। बकवास। रातोंरात स्टार बनने के बेहद शर्मनाक हरकत करने वालों के साथ ऐसा ही होना चाहिए। बार बार होना चाहिए। और ऐसे जितने हैं ना, उन्हें भी पता लगना चाहिए कि जर्नलिस्म शो-बिजनेस नहीं, मेहनत मांगता है। ईश्वर उन तमाम लोगों को खूब सुख दे, जिन्होंंने पत्रकारिता को साफ करने का ये पाक काम किया है।
– सबसे पहले टि्वटर से मामले की भनक लगी। बिजी होने के चलते ज्यादा जांच पड़ताल नहीं की, क्योंकि ऐसी नौटंकियां देखते देखते अब दूसरा दशक होने जा रहा है। टीवी में पूरा दशक। हर इंटर्न अपने को सीधे किसी चैनल के प्राइम टाइम एंकर से कम नहीं समझता। उसकी नजर में आउटपुट के तमाम सीनियर्स निहायत उल्लू ही होते हैं। लड़कियां तो माशा-अल्लाह। मानों इंटर्नशिप नहीं, यशराज की शाहरुख-रनबीर-अमिताभ के अपोसिट फिल्म साइन करने आई हो। आज तक समझ नहीं आया कि मीडिया के बॉस लोगों ने क्यों नही ये नियम बनाया कि पहले तीन-चार साल डेस्क, फिर रिपोर्टिंग का चांस दिया जाए। कुछ साल की रिपोर्टिंग के बाद एंकरिंग का। लेकिन नहीं, यहां तो बॉस की चेलियां आती है, और सीधे रिपोर्टिंग या एंकरिंग करने लगती है।
दूसरा महा-सत्यानाश काम–सारे बॉस रिपोर्टर या एंकर की भर्ती करेंगे, तो देखेंगे कि पहले रिपोर्टिंग या एंकरिंग की है या नहीं। लेकिन अंदर के किसी लड़के को मौका नहीं देंगे, भले ही बेचारा सालों डेस्क पर मरता रहा हो, या असाइमेंट पर गालियां खाता रहा हो। एक सामने आए, और बोले कि हां, मैं रिपोर्टर या एंकर निष्पक्ष रखता हूं। मालूम नहीं क्यों लड़कियों से रिपोर्टिंग करवाने को मरे जाते हैं। या एंकरिंग करवाने को। भाई ज़रा देखों तो देवीजी को कितना आता है।
तीसरा महा-सत्यानाश– ज़रा फ्लैशबैक में जाकर देखिए। टीवी की पुरानी एंकर्स कहां हैं। सबने एंकरिंग की बदौलत बढ़िया शादी की और घर बसा लिया। कहां है रिपोर्टर्स। वहीं कहानी। इन दस साल में कितनी ही लड़कियां रिपोर्टर बनी, एंकर बनी और चली गई। देश के न्यूज़ चैनलों का क्या भला हुआ। लड़कों को मौका देते तो वो रुकते। बेहतर रिपोर्टर बनते। लेकिन क्या करें, बोलेंगे तो बुरा लग जाता है बॉस लोगों को।
वैेसे रिपोर्टर या एंकर बनने के लिए क्या करना पड़ेगा, कृपया बताएं।
(लेखक पत्रकार हैं )