अज्ञात कुमार
‘शर्म है कि इन्हें आती नहीं’. यह पंक्ति दैनिक जागरण के मोतिहारी मॉडेम सेंटर पर बखूबी लागू होती है. शीर्षक व फोटो की अशुद्धि के साथ ही अब भ्रामक खबर भी छपने लगा है. इस कारण पुराने पाठक भी इस अखबार से नाता तोड़ने लगे हैं. 03 सितम्बर को क्षेत्रीय पन्ने पर प्रमुखता से प्रकाशित इस खबर ’60 डेज ओल्ड टिकट को ‘हैक’ कर रहे धंधेबाज’ की संलग्न कतरन को गौर से पढ़िए. माजरा समझ में आ जाएगा. इसमें दो बड़ी गलतियां हैं. जिसका क्रमवद्द जिक्र करना चाहूंगा…
1. 60 डेज ओल्ड का मतलब होता है, 60 दिन पुराना टिकट. क्या पहले से बिक चुकी टिकट को बाद में बेंचना मुमकिन है. हां इसकी जगह 60 डेज अर्ली या
बिफोर लिखा होता तो जरूर चल जाता. और सच में ऐसा ही कुछ लिखा जाना चाहिए था.
2. खबर की बॉडी में लिखा है, ये धंधेबाज टिकट के खेल के जरिए रेलवे को प्रतिदिन लाखों का चूना लगा रहे हैं. इस बात को कम पढ़ा लिखा समझदार आदमी
भी बता सकता है कि भले ही एजेंट अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर के जरिए टिकट बुकिंग कर दे रहे हैं. लेकिन ग्राहक का पैसा तो रेलवे के खाते में ही ना जा रहा है. रेलवे काउंटर से टिकट नहीं मिलने के कारण आम आदमी की परेशानी जायज है. लेकिन विभाग को चूना कहां से लग रहा है?