अमिताभ श्रीवास्तव
अच्छा होता किरन बेदी अरविंद केजरीवाल की खुली बहस की चुनौती स्वीकार कर लेतीं। बढ़िया बोलती हैं, दबंग महिला हैं और दिल्ली के लिए बेहतर विज़न और प्रशासन का दावा भी कर रही हैं। तो पब्लिक डिबेट में उनका सिक्का जम जाता और केजरीवाल की कलई खुल जाती।
आख़िर किरन बेदी ने भी अपने लीडर और मेंटर नरेंद्र मोदी की तरह फ़ार्मूले देना शुरू कर ही दिया है। लेकिन ऐसा न करके और ट्विटर पर केजरीवाल को ब्लाक करके किरन जी ख़ुद को कमज़ोर ही साबित कर रही हैं।
पिछले साल चुनाव में मोदी समर्थक नेता और कार्यकर्ता राहुल गांधी को खुले आम आमने सामने की बहस/चर्चा की चुनौती दिया करते थे और इसे स्वीकार न करने को राहुल की कमज़ोरी बता कर हर मंच से शोर मचाया करते थे। सही भी था, राहुल जनता के सामने अपनी बात रखने कमज़ोर थे भी और नतीजों से ये साबित भी हो गया। इस बार किरन बेदी उसी स्थिति में फँसती दिख रही हैं। बड़ा चालाक और नटखट टाइप है ये अरविंद भी।
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