तो क्या सोशल मीडिया के इस सपूत को रामनाथ गोयनका सम्मान देंगे ?
वैसे तो सोशल मीडिया को लेकर सरकार से लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया को लेकर जो रवैया है वो साफतौर पर दोमुंहे किस्म का है. इसी सोशल मीडिया का इस्तेमाल स्वयं सरकार, राजनीतिक पार्टियों और संस्थान अपने प्रचार से लेकर प्रोपगेंडा के लिए करती आयी है तो उस पर कभी ज्यादा बात नहीं होती लेकिन जैसे ही व्यक्तिगत स्तर पर किसी ने कुछ इधर-उधर लिखा नहीं कि हमले से लेकर सलाखों के पीछे फेंकने की कवायद शुरु हो जाती है. ये बहुत संभव है कि यही काम शकील बेग के बेटे टोनी बेग के बदले कोई और शख्स करता जो कि स्वाभाविक भी है क्योंकि इन हरकतों को दर्जनों लोग सालों से देखते आए हैं, तो उनके साथ कुछ भी किया जा सकता था..कुछ नहीं तो इसे एक झटके में बेबुनियाद करार दे दिया जाता..लेकिन
टोनी बेग की इन तस्वीरों को चुनौती देना आसान है क्या और वो भी तब जब उनमे वो खुद भी शामिल हैं. आज मेनस्ट्रीम मीडिया जिस अंदाज में खासकर टेलीविजन इस खबर को पेश कर रहा है, कायदे से ये उसके लिए डूब मरने का दिन है कि जो साधन और पद का करप्ट और सामंती हो जाने की हद तक एक अधिकारी इस्तेमाल करता आया है, उसे लोगों को बताने के लिए उसके बेटे को आगे आना होता है..इससे नीचे में कोई खबर लोगों तक मीडिया के जरिए नहीं पहुंच पाई.
ये क्या अकेले शकील बेग हैं जो सार्वजनिक संपत्ति, लोगों की बेहतरी के लिए दी जानेवाली सुविधाओं को बपौती समझकर उनका दोहन करते हैं…ये संख्या हजारों में होंगी लेकिन सोशल मीडिया में तो अभी ये पहला सपूत सामने आया है जिसने अपने पिता की सारी कारगुजारियों को सार्वजनिक कर दिया..करते रहिए आप पीआर एजेंसी और कॉर्पोरेट मशीनरी से मीडिया मैनेज..जब घर-घर टोनी बेग जैसे सोशल मीडिया जर्नलिस्ट पैदा होने लगेंगे तो पट्टाधारी मीडियाकर्मियों के लाख चीखने के बावजूद, ग्राउंड जीरो रिपोर्टिंग का दावा करते रहने के बावजूद फर्जी, करप्ट और मैनेज्ड करार देने में ज्यादा वक्त नहीं लगेंगे..हमें इस बात का फक्र है कि सोशल मीडिया ने भगत सिंह पैदा न भी किए हों तो भी एक ऐसा प्रैक्टिसनर जरूर दे दिया जो उन तमाम पत्रकारों की खूबियों के करीब है जिनकी आदिम छवि लेकर हम मीडिया से दुनियाभर की उम्मीद लगाए घूमते-भटकते रहते हैं..
(तस्वीर, साभार- द इंडियन एक्सप्रेस)