अभिषेक श्रीवास्तव
मंच के दाहिनी ओर मीडिया प्रवेश द्वार के पास कैमरों के लिए एक जगह दी गई थी जहां सारे चैनलों के कैमरे ट्राइपॉड पर तने हुए थे। वहां से सिर्फ ग्रेजि़ंग एंगल पर (यानी सतह से समानांतर) शॉट लिए जा सकते थे। मंच के सामने क्रेन वाले सिर्फ दो कैमरे हवा में श्रोताओं के सिर पर मंडरा रहे थे। अब ये कैमरे भाजपा के हों, किसी न्यूज़ एजेंसी के या किन्हीं दो समाचार चैनलों के, सवाल उठता है कि सारे चैनलों को एक ही फीड कैसे मिली जिसमें ”लाखों” की जनता को दिखाया गया?
चूंकि सारे समाचार चैनलों पर एक ही विजुअल चला है, इसलिए यह दो क्रेन वाले कैमरों की सिंगल फीड होने के नाते या तो चैनलों के बीच का आपसी बंटवारा था या फिर बीजेपी के रैली आयोजकों का कमाल, जिन्होंने डिजिटल मंच बनाकर एक ही फीड सारे चैनलों को मुहैया कराई।
कृपया कोई तकनीकी ज्ञान वाला व्यक्ति इस रहस्य पर से परदा उठाए।
*** रैली में आई लाखों जनता के विजुअल का परदाफाश***
मित्र Ankit Agrawal के सौजन्य से यह जानकारी मिली है कि नरेंद्र मोदी की रोहिणी में हुई रैली में मंच के सामने लगे दोनों क्रेन वाले कैमरे ideal communication नाम की एजेंसी के थे जिसे भाजपा ने दस लाख रुपये में हायर किया था। यह जानकारी उन्हें मंच के सामने स्क्रीन ऑपरेट कर रहे एक एजेंसी के कर्मचारी और भाजपा के वॉलंटियर ने दी।
इन्हीं दो क्रेन कैमरों से सारे चैनलों को आउटपुट जा रहा था और हमें लाखों की जनता के विजुअल देखने को मिल रहे थे।