चंद्रकांत फुंदे ने सबसे पहले किया था महाराष्ट्र के ” तेल के खेल” को उजागर

सुजीत ठमके

chandrakant mumbaiचंद्रकांत फुंदे जी हां। साधारण से दिखने वाले शांत स्वभाव के चंद्रकांत मीडिया जगत में ” बाबा” नामक उपाधि से भी जाने जाते है। एक रिपोर्टर की खासियत है की खबर को कवर करते वक्त दुसरो की बात ज्यादा सुने और खुद की बात रखते वक्त तर्क, तथ्यों का सत्यापन, निष्कर्ष, विवेक, दूरदृष्टि आदि रखे। पिछले कुछ सालो में भलेही टीवी मीडिया के खबरों को सरकार, नौकरशाही, अफसर, नेता, मंत्री, सरकारी अमला गंभीरतासा नहीं देखता हो। लेकिन टीवी खबरों का जनमानस, एवं सरकार के प्रभाव को नकारा भी नहीं जा सकता। जब खबर जनसरोकार से जुडी है। जनहित में है। तब एक रिपोर्टर की खबर से सरकारी अमलो की नीव हिल जाती है। जब अफसरशाही की मिलीभगत से किसी माफिया का गोरखधंदा चलता हो तो खबर की अहमियत और भी बढ़ती है। महाराष्ट्र में तेल माफिया का काला खेल. जी…हां…. आम जनता को हाशिये पर रखते हुए तेल के खेल को एक्सपोज करने वाली खबर जब टीवी चैनल पर ओन एयर होती है और उसका असर सरकारी अमले पर होता है तब खबर को चार चाँद लग जाते है। पत्रकार फुंदे मूल रूप से अहमदनगर जिले के है। पैनी नजर, खबरों को देखने उनका अपना नजरिया, सोच, काले धंदे के पीछे का इतिहास आदि को समेटते की चंद्रकांत के पास अद्भुत कला है।

४ साल पहले की घटना है महाराष्ट्रा के जलगाँव जिले में सोनवणे नामक अतिरिक्त जिला कलेक्टर की तेल माफियोओ ने ज़िंदा जलाया था। जिसमे उनकी मौत हुई थी। केंद्र, राज्य सरकार, राष्ट्रीय मीडिया की खबर से नींद उडी थी। ३ साल पहले विदर्भ के वर्धा जिले में हिंगणघाट नामक तहसील में सलीम शेख नामक क्राइम रिपोर्टर ने तेल माफियोओ के काले कारोबार को उगाजर करने पर तेल माफियाओ ने उनका कत्ले आम कर दिया। राज्य सरकार हरकत में आई। मामला सीआयडी के तरफ तबदिल कर दिया किन्तु कुछ हुआ नहीं। पुख्ता सबूतो ना मिलने का हवाला देकर सभी आरोपी बरी हो गए। लेकिन महाराष्ट्र में इस तेल के खेल के काले कारोबार की नीव काफी पहले रखी गई थी। और उसको सबसे पहले उजागर किया था पत्रकार चंद्रकांत फुंदे ने। चन्द्रकान्त फुंदे वर्त्तमान में टीवी-९ में कार्यान्त्वित है। वर्ष २००८ तक ई -टीवी मराठी न्यूज़ महाराष्ट्रा में काफी लोकप्रिय था। ई- टीवी मराठी २४ * ७ न्यूज़ चैनल तो नहीं था। “राउंड- दी- क्लॉक” खबरों का प्रसारण करता था। लेकिन खबरों एवं प्रोग्रामिंग की पैकेजिंग, कंटेंट, खबरों को परोसने का अंदाज, खबरों का चयन दर्शको को काफी भाता था। ई- टीवी न्यूज़ महाराष्ट्रा का टीआरपी के साथ साथ रेवेन्यू में भी न.01 चैनल बना। राजनेता, मंत्री, संत्री, अफसर, श्रोता अादि ई- टीवी के बुलेटिन को चाव् से देखते थे। चंद्रकांत फुंदे ने ई -टीवी मराठी के जरिये सैटेलाइट न्यूज़ चैनल में कदम रखा। तब फुंदे सोलापूर से ई- टीवी के लिए रिपोर्टिंग करते थे। सोलापूर जी हां। कांग्रेस के कद्दावर नेता, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री, केंद्र में बिजली तथा गृहमंत्री रहे सुशीलकुमार शिंदे का गढ़। और इसी गढ़ में चल रहा था तेल माफिया का खेल। यह कैसा संभव है। जो कद्दावर नेता सोलापूर के चप्पे चप्पे की खबर रखता हो। ग्रास रुट लेवल तक कार्यकर्ता, पदाधिकारी के साथ लगातार मेल मिलाप करता हो और ऐसे नेता को तेल के खेल की भनक ही ना लगे। वर्ष २००७ शाम ७ :०० बजे। ई- टीवी मराठी के प्राइम टाइम बुलेटिन ” महाराष्ट्र माझा ” नामक लोकप्रिय बुलेटिन पर खबर चली। राजनेता, अफसरों के मिलीभगत से चल रहा महाराष्ट्रा में तेल माफियो का खेल। महाराष्ट्र में तेल माफियो के खेल को उजागर करने वाली ई- टीवी के पत्रकार चंद्रकांत फुंदे की खबर ओन एयर हुई। विशेषज्ञ मानते है की, सालाना 2000 हजार करोड़ की अफरातफरी इस खेल में माफिया करते है। जिसमे पेट्रोल, डीजल, केरोसिन आदि शामिल है। चंद्रकांत फुंदे ने जान हथेली पर डालकर खबर कवर तो की किन्तु उसकी भारी कीमत फुंदे को चुकानी पड़ी। तेल माफियो ने फुंदे पर जानलेवा हमला किया। हमले वो बाल बाल बचे। किन्तु कई दिन अस्पताल में भर्ती रहे। सरकार, अफसर, नौकरशाहों ने घटनी की गंभीरता देखी। स्थानीय प्रशासन ने जांच करने के आदेश दिए किन्तु “ढाक के तीन पात” रहा। जिस पत्रकार ने जान हथेली पर डालकर महाराष्ट्र के “तेल माफिया के खेल को उजागर किया उस ई- टीवी के प्रबंधन ने भी वक्त पर ठेंगा दिखाया। दरअसल भारतीय मीडिया की त्रासदी देखिये जो रिपोर्टर जनमानस, जनहित के लिए खबर कवर करता हो और उसी को वक्त आने पर हाशिये पर रख दिया जाता है। उस रिपोर्टर को पीड़ा को बयान ना करना ही समझदारी है। दरअसल ई- टीवी प्रबंधन ने फुंदे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर डटकर खड़े रहना चाहिए था। चंद्रकांत फुंदे ने खबर नेटवर्क के लिए कवर की थी। ना की खुद के लिए। होनहार, जमीनी स्तर के रिपोर्टर चंद्रकांत फुंदे वर्त्तमान में टीवी-९ मुंबई में कार्यान्वित है। किन्तु महाराष्ट्र के ” तेल के खेल” को उजागर करने वाले टीवी मीडिया के वो पहले पत्रकार थे। महाराष्ट्र में तेल माफिया का खेल आज भी बदस्तूर जारी है।

1 COMMENT

  1. कहां से उठा लाए ये तेल के खेल की खबर? असलियत तो ये है कि, तेल माफिया से
    पैसे वसूलते वक्त पैसे कम मिलने की वजह से गाली गलौज करने पर चंद्रकांत
    फुंदे के सिर पर लोहे के रॉड से वार किया गया था। अगर यकिन न हो तो, उस
    वक्त ईटीवी में कार्यरत डेस्क के बाशिंदो से पूछ लो। और यही वजह थी कि,
    फुंदे का सोलापूर से तबादला कर दिया गया। यहां तक कि, वसूली की जांच की आंच
    उस वक्त के इनपूट हेड तक पहुंची थी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.