निखिल आनंद गिरी
रोहतक की दो लड़कियों को मीडिया ‘मर्दानी’ कह रहा है.मैं पूछता हूं ‘जनानी’ कह के उनकी बहादुरी का बखान करने में क्या बुराई है. एक रिपोर्टर एक ही बात बारी-बारी दोनों से पूछ रहा है कि जींस पहनकर लड़ने में कितनी ‘सुविधा’ हुई, दर्शकों को बताइए. पता नहीं क्या साबित करना चाह रहा है?
कुछ चैनल उनका चेहरा दिखा रहे हैं, कुछ चेहरा छिपा दे रहे हैं. लग रहा है इसके लिए कोई गाइडलाइन है ही नहीं. बात ये है कि हर ऐसी ‘घटना’ के बाद मीडिया की कवरेज उसमें इतना मसाला डाल देती है कि लगता है हम एक सीरियस ख़बर नहीं ‘मर्दानी’ का सीक्वेल देख रहे हैं.
प्रोड्यूसर भाइयों, न्यूज़ और फिल्म प्रोड्यूस करने में धागे भर का फर्क होता है क्या समझे.
(फेसबुक ट्रैवल्स)
बहरहाल दोनों बहादुर लड़कियों की बहादुरी का वीडियो देखें –