पिछले कुछ दिनों से शहाबुद्दीन की रिहाई को 70 सालों में सबसे खतरनाक खबर बतायी जा रही है। इस मुद्दे पर जाहिर है-स्वभाविक है, नीतीश कुमार-लालू प्रसाद और सिकुलर लोग टारगेट पर हैं। अधिकतर लोगों का टारगेट राजनीति है न कि मुद्दा।
इसमें कोई संदेश नहीं है कि शहाबद्दीन बिहार के सबसे बड़े गुंडों में एक है। कई उसके शिकार रहे हैं। वह बिहार क्या किसी भी समाज में खुला रहने के लायक नहीं है। भले ही अब उसकी रिलेवेंसी न रही हो। आज शहाबुद्दीन के शिकार लोगों की दुहाई देकर जो रो रहे हैं क्या उन्हें पता चला कि नीतीश-बीजेपी सरकार के दौरान कैसे उनके खिलाफ सारे केस लगातार कमजोर हाेते गये? तब आवाज उठायी गयी? नहीं। उसके खिलाफ 11 साल से केस चल रहे हैं जिसमें 8 साल बीजेपी बिहार सरकार में रही। क्यों नहीं इन केसों को जल्द से जल्द पैकअप करवा तब कनविक्ट करवाया गया?
शहाबुद्दीन को बेल हाईकोर्ट ने दी। संभव है कि बिहार सरकार ने केस कमजोर तरीके से लड़ी होगी। लेकिन हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के स्तर पर सिर्फ सरकार का विवेक या तर्क नहीं चलता है ।लाेग ऐसी दलील दे रहे हैं कि मानो नीतीश कुमार ने खुद अपनी कुंजी से उन्हें जेल से निकाला हो। कोर्ट भी अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकता है।
शहाबुद्दीन का जेल से निकलना पूरे सिस्टम का फेल्योर है। इसके लिए सिर्फ लालू-नीतीश का फुटबाल खेलना सोशल मीडिया पर बहस या चैनल टीआरपी के लिए ठीक है।
और हां,लालू-नीतीश के लिए शहाबुद्दीन प्रेम को मान भी लें तो नरेन्द्र मोदी के लिए शहाबुद्दीन प्रेम क्यों है? पिछले कुछ महीने पहले बिहार के तमाम पत्रकारों और क्रांतिकारियों का पोस्ट पढ़ लेती तो सीबीआई आज शहाबुद्दीन को मर्डर केस में अरेस्ट कर लेती और उसे छूटने का मौका नहीं मिलता। सीवान के पत्रकार मर्डर केस में तमाम लोगों ने स्कार्टलैंड पुलिस से भी बढ़िया जांच कर घटना के दो दिनों के अंदर फेसबुक पर बता दिया था कि किस तरह शहाबुद्दीन ने उसे मरवाया था। ऐसे ऑलरेडी सॉल्व केस को सॉल्व करना तो दूर सीबीआई ने अभी तक प्राइमरी जांच भी शुरू नहीं की। क्यों? वह भी तब जब बीजेपीे ने सीबीआई की जांच इसलिए मांगी थी कि 72 घंटे में शहाबुद्दीन के खिलाफ कार्रवाई हो सके। अभी भी देरी नहीं हुई है। अगर वास्ता शहाबुद्दीन है तो लालू-नीतीश को छोड़ये,उन्हें अभी तुरंत केद्र सरकार अरेस्ट करवा सकती है,उसपर दबाव बनाएं।
और इधर नीतीश बाबू,आपका अगला पटना से निकलकर दिल्ली की ओर बढ़ता है या नालंदा की ओर यह इस मुद्दे पर आप किस तरह हैंडल करते हैं उससे पता चलेगा।
और लालूजी,चुके हुए शहाबुद्दीन पर दांव खेला तो आप दूसरे को छोड़ दीजिये,लिखकर सेव कर लीजिये, आप मेजारेटी मुस्लिमों का सपोर्ट खो लेंगे।
नरेंद्र नाथ-
@fb