प्रवीण साहनी,मैनेजिंग एडिटर,समाचार प्लस-
कहावत है कि असीम बलशाली को कोई और नहीं हराता बल्कि वो स्वयं अपनी हार का हथियार होता है। आज प्रत्याशियों की सूची देखने के बाद ये बात मुझे बीजेपी पर बिलकुल फिट दिख रही है। आदर्श ताक पर धरे हैं और बेटा-बेटी-पत्नी-बहू-दामाद-परिवार मैदान में उतरे हैं। कर्मठ और ईमानदार अनाथ हो गए..हारे-लंगड़े घोड़े जो कल तक अपनों को लात मार रहे थे वही योद्धा और घुड़सवार हो गए। एक उदाहरण साहिबाबाद का ही देख लो, जहाँ बीजेपी के नाम पर…भी जीत जाये वहां से बुरी तरह हारे हुए और देश के गृहमंत्री तक के खिलाफ छद्म युद्ध छेड़ने वाले सुनील शर्मा को टिकट दे दिया जबकि 365 दिन क्षेत्र में जनता के बीच रहने वाले कार्यकर्ता संजीव शर्मा की उम्मीदों को बुरी तरह कुचल दिया। इतना ही कहूंगा कि संजीव शर्मा दिल मत छोटा करना, दिल इतना बड़ा कर लो कि उससे निकली आह में बीजेपी का घमंड और घमंडी सारे समा जाएं।
(सोशल मीडिया से साभार)
Congratulations Bhai.
Great