अज्ञात कुमार
मैं पूर्वी उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले से एक चैनल का संवाददाता हूं। पिछले दो तीन महीनों से मैं जो भी खबरें अपने चैनल पर ब्रेक करवाता था वही खबर, मेरे ही विजुअल से फोटो काटकर भास्कर डाट काम पर फ्लैश हो जाती थी।
काफी दिन के बाद जब मैंने इसकी तहकीकात की तो पता चला कि भास्कर का गोरखपुर का रिपोर्टर मेरे एफटीपी से खबर चुराता है और उसमें भेजे गये बाइट और विजुअल से फोटो काटकर और बाइट सुनकर खबर चेंप देता है। यही नहीं गोरखपुर में बैठे बैठे यह रिपोर्टर लखनउ, बदांयू, गोण्डा, बहराईच, महराजगंज, कुशीनगर, ललितपुर, मुरादाबाद, कानपुर, बलिया, अम्ेडकरनगर सहित पूरे प्रदेश की खबरें मेरे एफटीपी से चुराकर भास्कर पर भेजता है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण भास्कर का गोरखपुर पेज है….
एक रिपोर्टर फिल्ड में दौडकर, धूप में तपकर खबर लाता है और यह व्यक्ति अपने आफिस में बैठकर सबकी मेहनत का भुनाता है और अपने बॉस लोगों का खास बना हुआ है। आप भास्कर की उत्तर प्रदेश की खबरें देख लीजिये कि यह रिपोर्टर एक शहर में बैठकर, एक ही हेड से कहां – कहां की खबर भेजता है और वो भी नाम के साथ।
ऐसा नही है कि भास्कर के डेस्क के लोगों को यह पता नही होगा पर वह लोग भी जानते समझते अंजान बने हुये हैं क्योंकि ऐसे रिपोर्टरों की बदौलत प्रदेश से खबरें से उनको मिल जा रही हैं।
इलेक्ट्रानिक मीडिया के जिले के संवाददाता खबरों को लेकर कितनी मेहनत करते हैं यह किसी से छुपा नही है पर ऐसे परजीवियों के कारण उनकी मेहनत जाया हो जाती है और यह लोग एक्सक्लूसिव मारकर हीरो बन जाते हैं। आपसे अनुरोध है कि ऐसे रिपोर्टरों के खिलाफ मीडिया खबर पर खबर जरूर कैम्पेन चलाईये जो दूसरों की मेहनत की बदौलत आज मौज काट रहे हैं।
एक ‘परजीवी सेवी’ रिर्पोटर
(एक चैनल रिपोर्टर द्वारा भेजा गया पत्र। सम्बंधित पक्ष चाहे तो अपना पक्ष रख सकते हैं।)
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ये किसी एक जगह के हालात नही है कमोबेश हर जगह इस तरह के परजीवी पडे हुये हैं..ये तो महज एक बानगी भर है.एफटीपी से खबर चुराने वालो की एक बडी जमात है जो खुद करना कुछ नही चाहते.चैनल्स की एफटीपी खोल कर बैठे रहते हैं और जैसे ही कोई खबर आयी अपना काम कर जाते हैं.
गोरखपुर में एफटीपी से खबरें नर्स हॉस्टल के सामने वाले नगर निगम काम्प्लेक्स में और कैंट थाने के पास स्थित एक दफ्तर में होता है। सुनने में तो यह भी आया है कि P7 ने जीआरपी के जिस स्टिंग ऑपरेशन को अपना बताया था। वह असल में भास्कर का स्टिंग ऑपरेशन था जो चंगु मंगू को इसी एहसान के बदले मिला था।
अज्ञात कुमार नम्बर 2 भाई साहब आपको जो जानकारी है वो बेहद अधूरी है.. उसे मैं पूरा करना चाहूंगा. आप बात जिस स्टिंग की कर रहे हैं वो पी7 का ही था क्योंकि अगर आपके चक्षु सही सलामत काम कर रहे हैं और उम्र का असर नही आया है तो उसे आप दीदे फाड के देखिये कि उसमें जीआरपी का सिपाही पी7 के रिर्पोटर से ही उलझ रहा है न कि भास्कर के. स्टेशन पर लोग पी7 के आईडी पर अपनी बाइट दे रहे हैं न कि भास्कर के. मुझे आपकी अज्ञानता पर तरस आता है.. च च च……. चलिये कोई बात नही जितनी बुध्दि होगी उतनी ही आप बात करियेगा ना…. नगर निगम काम्पलेक्स में मेरा ही आफिस है जहां पर आप खबर की भीख मांगने अक्सर आते रहते हैं. मेरे दोस्त इल्जाम लगाना बहुत आसान है और उसे साबित करके दिखाना मुश्किल है. और हां भास्कर के किस एहसान की बात कर रहे हैं !.. मेरे दोस्त हम इतने काबिल हैं कि किसी से एहसान लेते नही हैं हां करते जरूर है जैसा आपके साथ करते हैं जब आपके आफिस से कोई खबर छूट जाती है औरआपको डंडा होने लगता है. बाकी भास्कर गोरखपुर के रिपोर्टर अनुराग जी मेरे मित्र हैं और उन पर भी जो इल्जाम लगाया गया है वो कोई साबित तो करे. जिसकी हमसे फटती है वही ऐसा काम कर रहा है लेकिन हमें कोई परवाह नही है…