भारतीय जनता पार्टी को लेकर आजकल बांग्लादेश की मीडिया खफा है. खफा होने की वजह है असम में सरकार द्वारा वैध नागरिकों की सूची बनाए जाना. असम सरकार वैध नागरिकों की पहचान के लिए यह सूची तैयार कर रही है.
बांग्लादेशी मीडिया में छपी रिपोर्ट और संपादकीय में इस पूरी प्रक्रिया पर गहरी चिंता जताई गई है.
अभी जहां बांग्लादेश है वहां से भारतीय उपमहाद्वीप में लोगों का आना-जाना सदियों से रहा है. हाल के दशकों में दोनों देशों के बीच खुली सरहद के कारण पलायन और बढ़ा है.
सीमा पार से आने वालों में अधिकतर बांग्लादेशी भारत के पूर्वोत्तर राज्य असम में रह रहे हैं. आलोचकों का कहना है कि बेपरवाह पलायन का असर राज्य की जनसांख्यिकीय पर पड़ा है. उनका ये भी कहना है कि इससे वहां के मूल असमियां लोग ही अल्पसंख्यक हो गए हैं.
अवैध प्रवासियों को रोकने के लिए असम ने 1951 में सभी वैध नागरिकों की सूची तैयार की थी. 2015 में राज्य की कांग्रेस पार्टी की अगुवाई वाली सरकार ने इसे अपडेट करने का काम शुरू किया था. लेकिन इसे गति 2016 में तब मिली जब भारतीय जनता पार्टी ने यहां सरकार बनाई.
हाल के दिनों में नेशनल रजिस्ट्रार सिटिजन (एनआरसी) काफ़ी विवादों में है. बीजेपी ने अपने चुनावी अभियान में अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों की समस्या ख़त्म करने का वादा किया था. हालांकि आलोचकों का कहना है कि बीजेपी को अवैध बांग्लादेशी नागरिकों से नहीं बल्कि मुसलमानों से समस्या है.
(स्रोत- बीबीसी)