कार्टूनिस्ट-अमरेन्द्र
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टेलीविजन पत्रकार अभिषेक उपाध्याय की किताब यूपी टू यूक्रेन
टेलीविजन पत्रकार अभिषेक उपाध्याय रचनात्मक है और यही वजह है कि रिपोर्टिंग के साथ-साथ वे लिखते-पढ़ते भी रहते हैं।
इसी रचनात्मकता को शब्दों में...
पत्रकारों की ऐसी दयनीय स्थिति देखकर सच में बहुत दुःख होता है….थप्पड़ की गूंज आये दिन सुनाई देती है वो भी पत्रकारों को पड़ती है …और पत्रकार ख़ामोशी से बस देखते रहते है और अगले थप्पड़ की गूंज का इंतज़ार करते रहते है ….वैसे दूसरों को सलाह देने और दूसरों की आवाज़ उठाने में आगे रहते हैं ….पर अपनी आवाज़ नहीं उठा सकते क्यूँ की ये भी मनमोहन सिंह जी के जैसे मज़बूरी का रोने रोते हैं …..बात ये है की पत्रकारों में एकता नाम की चीज़ हिन् नहीं है ..तभी तो आज मीडिया आर्गेनाईजेशन के दवारा आराम से शोषित हो रहे हैं ….पर इनकी ज़ुबान से उफ़ तक नहीं निकलती ….जय हो आज के पत्रकारों ….कब आप की आवाज़ आज़ाद होगी ????