पत्रकारों की ऐसी दयनीय स्थिति देखकर सच में बहुत दुःख होता है….थप्पड़ की गूंज आये दिन सुनाई देती है वो भी पत्रकारों को पड़ती है …और पत्रकार ख़ामोशी से बस देखते रहते है और अगले थप्पड़ की गूंज का इंतज़ार करते रहते है ….वैसे दूसरों को सलाह देने और दूसरों की आवाज़ उठाने में आगे रहते हैं ….पर अपनी आवाज़ नहीं उठा सकते क्यूँ की ये भी मनमोहन सिंह जी के जैसे मज़बूरी का रोने रोते हैं …..बात ये है की पत्रकारों में एकता नाम की चीज़ हिन् नहीं है ..तभी तो आज मीडिया आर्गेनाईजेशन के दवारा आराम से शोषित हो रहे हैं ….पर इनकी ज़ुबान से उफ़ तक नहीं निकलती ….जय हो आज के पत्रकारों ….कब आप की आवाज़ आज़ाद होगी ????
पत्रकारों की ऐसी दयनीय स्थिति देखकर सच में बहुत दुःख होता है….थप्पड़ की गूंज आये दिन सुनाई देती है वो भी पत्रकारों को पड़ती है …और पत्रकार ख़ामोशी से बस देखते रहते है और अगले थप्पड़ की गूंज का इंतज़ार करते रहते है ….वैसे दूसरों को सलाह देने और दूसरों की आवाज़ उठाने में आगे रहते हैं ….पर अपनी आवाज़ नहीं उठा सकते क्यूँ की ये भी मनमोहन सिंह जी के जैसे मज़बूरी का रोने रोते हैं …..बात ये है की पत्रकारों में एकता नाम की चीज़ हिन् नहीं है ..तभी तो आज मीडिया आर्गेनाईजेशन के दवारा आराम से शोषित हो रहे हैं ….पर इनकी ज़ुबान से उफ़ तक नहीं निकलती ….जय हो आज के पत्रकारों ….कब आप की आवाज़ आज़ाद होगी ????