मनीष कुमार
कॉमरेड अब कमेडियन बन गए हैं..
टाइम्स नाउ पर कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के नेता अतुल अंजान ने ऐसी बात कह दी कि जिसे सुनकर बहुत हंसी आई. यह पोस्ट इसलिए कर रहा हूं क्योंकि कई नासमझ या ज्यादा समझदार लोग भी इस तरह की कामेडी को सच मान लेते हैं. गंभीरता का नाटक करते हुए.. गहराए आवाज में अतुल अंजान कहा कि बीजेपी को महज 31 फीसदी वोट मिले हैं, बीजेपी के पास बहुमत नहीं है.. 70 फीसदी लोग बीजेपी के विरोध में हैं और देश के सेकुलरिज्म और देश को टूटने से बचाने के लिए सभी पार्टी अब एक होकर बीजेपी का विरोध करेगें.
इस तरह के बयान से अतुल अंजान ने अपने बारे में कई बातें बता दी. एक तो यह कि वो हर वामपंथी की तरह खुद को महाज्ञानी समझने की भूल कर रहे हैं और दूसरा उन्हें भारत के प्रजातंत्रिक प्रक्रिया पर भरोसा नहीं है और तीसरा कि वो निहायत ही जनविरोधी हैं.
इन वामपंथियों को पता होना चाहिए कि हमारे देश में फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम के तहत जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलता है. वो चुनाव जीत जाता है. अब अगर यही भारत की संवैधानिक व्यवस्था है तो इस पर सवाल उठाने का मतलब तो यही है कि आपको इस पर भरोसा नहीं है.. वैस भी भारत कोई कम्यूनिस्ट या भूतपुर्व कम्युनिस्ट राज्य नहीं है जहां फर्जी लोकतंत्र, फर्जी चुनाव और फर्जी मिल्टी पार्टी सिस्टम हो… दुनिया भर में यह सिर्फ कम्युनिस्ट सिस्टम के तहत ही संभव है कि सरकार चलाने वाली पार्टी को 98 फीसदी वोट मिलता हो.. ये सिर्फ कम्युनिस्ट सिस्टम के तहत ही संभव है कि हर बार कम्युनिस्ट पार्टी ही चुनाव जीतती है.. दूसरी कोई पार्टी चुनाव जीतने की सोचती भी नहीं है.. और ये महाज्ञानी टीवी पर बैठ कर परसेंटेज का ज्ञान दे रहे हैं.. उन्हें शायद पता न हो कि कम्युनिस्ट तंत्र के तहत रुलिंग पार्टी के खिलाफ इस तरह का बयान देने वाले स्टूडियो के अंदर ही गिरफ्तार कर लिए जाते हैं. यही वामपंथियों की पीपुल्स डेमोक्रेसी की हकीकत है. उपर वाले का शुक्र है कि यह भारत है जहां वामपंथ अप्रचलित और अप्रसंगिक हो चुका है.
अब वामपंथियों के दूसरी दलील पर गौर करते हैं.. ठीक है.. बीजेपी को 31 फीसदी वोट मिले हैं.लेकिन कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया को कितना वोट मिला है…महज 0.78%… मतलब एक फीसदी से भी कम… लेकिन लेक्चर ऐसे देते हैं कि मानों अगली सरकार बनाने वाले हों… अतुल अंजान फिर ये कहते हैं कि 70 फीसदी लोग बीजेपी के विरोध में हैं… अगर य़ही दलील उन पर लगा दी जाए तो फिर 99.2% लोग कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के खिलाफ हुए.. ये लंबा लंबा भाषण देने वाले अतुल अंजान की पार्टी पूरे 542 में सिर्फ 1 सीट जीत पाई जिसके लिए उन्हें शर्म आनी चाहिए. दरअसल, इन वामपंथियों की सिर्फ हेकड़ी बची है..लोकसभा चुनाव में उनसे ज्यादा वोट निर्दलीय को मिला है..
इस तरह के बयान देने का मतलब यही है कि ये वामपंथी नामक जंतु स्वयं को सबसे ज्यादा अकलमंद और देश की जनता को मूर्ख समझते हैं और तो और वो अपनी हार के लिए जनता को ही दोषी मानते हैं… यही उनके अगले दलील का आधार है.. अतुल अंजान कहते हैं कि देश को बचाने केलिए.. देश की एकता और सेकुलरिज्म को बचाने के लिए सभी पार्टी को एकजुट होना होगा. वैसे.. वामपंथियों की अकल की दाद देनी पड़ेगी.. कुछ भी बोल देते हैं.. खुद ही सेकुलरजिस्म के ठेकेदार बन बैठे.. इनको पता होना चाहिए कि भारत अगर सेकुलर है तो वो राजनीतिक दलों की वजह से नहीं बल्कि देश की जनता की वजह से है.
दरअसल, नेताओं को घुमा फिरा कर बात करने की आदत है… बात बस इतनी है.. महाराष्ट्र और हरियाणा के कल नतीजे आने वाले हैं.. और यह पता चल गया है कि वामपंथी या दूसरी पार्टियां अकेले नरेंद्र मोदी का मुकाबला नहीं कर सकती हैं इसलिए उन्हें एकजुट होना पड़ेगा.. साफ साफ बोलने के पैसे लगते हैं क्या? या जनता समझती नहीं है? सबको ये हकीकत पता है फिर भी ये वामपंथी राजनीति की जगह कमेडी करने में लगे हैं.
(स्रोत-एफबी)