ज़ी न्यूज़ ने राजदीप सरदेसाई के साथ हुए धक्का-मुक्की की घटना पर एक स्टोरी चलायी जिसमें राजदीप को लेकर कई सवाल उठाए गए और नसीहत दी कि विदेश में देश की इज्जत का ख्याल रखा जाना चाहिए. ज़ी न्यूज़ पर बाकायदा इसपर एक बहस भी करवायी. इसी स्टोरी और बहस पर मीडिया विश्लेषक विनीत कुमार की कुछ टिप्पणियाँ :
1-जी न्यूज के दागदार संपादक और दलाली मामले में जेल जा चुके सुधीर चौधरी आज राज राजदीप सरदेसाई को पत्रकारिता कैसे की जाए, नसीहत दे रहे हैं. चैनल शाम से एकतरफा स्टोरी चला रहे हैं. #shameaAbroad को ट्रेंड बनाने की कोशिश में लोगों से प्रतिक्रिया मांग रहा है….आलोक मेहता जैसे बुरी तरह साख गंवा चुके संपादक हां में हां मिला रहे हैं. मुझे राजदीप सरदेसाई के पक्ष में कुछ नहीं कहना है..बस अफसोस इस बात का है कि आप वरिष्ठ, अनुभवी मीडियाकर्मियों ने जिस तरह अपनी जुबान बंद रखी, गलत का खुलकर विरोध नहीं किया, कई बार सरोगेट ढंग से शह दिया तो ऐसे दिन देखना स्वाभाविक ही है.
2-जी न्यूज ने पत्रकारिता की नई परिभाषा दी. चैनल का कहना है कि अगर आपके देश का प्रधानमंत्री भारत को ब्रांड बनाने की कोशिश में विदेश जाता हो तो आप लोगों से कोई ऐसा सवाल न करें कि जिससे कि देशभक्ति पर आंच आ जाये.. आलोक मेहता एंकर और सुधीर चौधरी के समर्थन में कह रहे हैं कि आप पहले भारतीय हैं, उसके बाद पत्रकार है. भारतीयता और मोदी भक्ति कैसे एक-दूसरे में इमर्ज किया जा रहा है, देखते जाइए.सवाल बहुत सीधा है कि अगर आपकी देशभक्ति इस बात से निर्धारित होती है कि विदेश में कोई आपके नेता, मंत्री या प्रभावशाली व्यक्ति से असहमति में बात न करे, खबर न दिखाए तो क्या यही बात आप दूसरे देशों के संदर्भ में बर्दाश्त करते हैं. ?
3-जी न्यूज के दागदार संपादक और दलाली मामले में बुरी तरह साख गंवा चुके सुधीर चौधरी को जिस दिन गिरफ्तार किया गया, उस रात की बुलेटिन में देश के न्यूज चैनल के बेहद ही विश्वसनीय आवाज और चेहरा पुण्य प्रसून वाजपेयी ने कहा- आज देश के लिए काला दिन है, आज देश के लिए इमरजेंसी जैसा दिन है..वाजपेयीजी को जितना मैं जानता-समझता और पढ़ता हूं, ये बात कहने के बाद संभवतः भारी बोझ महसूस किया होगा और जी न्यूज छोड़ दिया..उनकी गिल्ट ऐसा करके कितनी कम हुई होगी, नहीं मालूम लेकिन तोड़-जोड़ करके, बीइए-एनबीए सबको धत्ता बताकर ये दागदार संपादक न केवल जेल से बाहर आ गया बल्कि पहले की तरह उसी बेशर्मी से मूल्यों,नैतिकता,सरोकार का ज्ञान दर्शकों को देने लगा.वाजपेयीजी बेहद सच्चे, संवेदनशील और सादगी पसंद टीवी पत्रकार हैं. ऐसे लोग टेलीवजन दुनिया में अब नहीं आते..उन्हें सुधीर चौधरी की गिरफ्तारी के लिए इमरजेंसी शब्द प्रयोग का शायद हमेशा अफसोस रहे लेकिन उनके जी न्यूज छोड़ देने के बावजूद इन्डस्ट्री के भीतर सडांध कम तो नहीं हो गयी. व्यक्तिगत स्तर का ये फैसला कुछ बदल तो नहीं ही पाया.
4-आप अपने देश में रहकर खबर के नाम पर दलाली मामले में जेल जाइए ( जी न्यूज), जेल जाते समय पुलिस को धमकाइए कि तुम्हें पता नहीं है कि मैं कौन हूं..थप्पड़ खाकर गाल रगड़िए. फर्जी स्टिंग ऑपरेशन करवाकर एक शिक्षिका को देह व्यापार का धंधा करनेवाली बताइए( लाइव इंडिया फर्जी स्टिंग ऑपरेशन) लेकिन विदेश में जाने के बाद राष्ट्रभक्त हो जाइए…सुधीर चौधरी की इस अदा पर कौन नहीं मर मिटेगा दोस्तों.
5-महिलाओं को शुरु से अपमानित करते आए हैं सुधीर चौधरीः पहले शिक्षिका उमा खुराना का, अब सागरिका घोष का
साल 2007 में सुधीर चौधरी जिस लाइव इंडिया के संपादक थे, उनके एक नउसिखुए रिपोर्टर प्रकाश सिंह जो कि रातोंरात चमकना चाहते थे, दिल्ली के एक स्कूल की शिक्षिका का फर्जी स्टिंग किया और उन्हें अपनी स्कूली छात्राओं को देह व्यापार में धकेलने, दलाली करनेवाला बताया. नतीजा, दिल्ली के तुर्कमान गेट पर दहशत का माहौल बन गया. हजारों की भीड़ और शिक्षिका उमा खुराना को खींचते, कपड़े फाड़ते धकियाते लोग..उस दिन उमा खुराना को लोग जान तक से मार देते.
जांच हुई. स्टिंग फर्जी पायी गयी. प्रकाश सिंह को निकाला गया. चैनल एक महीने तक ब्लैक आउट किए जाने का फैसला आया..इस पूरे मामले पर संपादक सुधीर चौधरी ने कहा- रिपोर्टर ने मुझे धोखे में रखा, मुझे इस स्टोरी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. इस मामले से पूरी तरह पल्ला झाड़ लिया. आज इसी सुधीर चौधरी को न केवल अपने चैनल, अमेरिका के चैनल एबीसी की, मोदी सरकार की पल-पल की खबर और जानकारी है बल्कि राजदीप सरदेसाई और मोदी भक्तों के बीच झड़प में राजदीप की पत्नी( उनके लिए सागरिका घोष की पहचान बस यही है, उनकी अपनी पहचान से कोई मतलब नहीं) के नाम को कैसे घसीटा जा सकता है ?
sudheer didnt proved guilty.. so stop ur foolness