आशुतोष के बयान को अजीत अंजुम ने कहा निंदनीय !

आशुतोष के बयान को अजीत अंजुम ने कहा निंदनीय !
अजीत अंजुम,प्रबंध संपादक,इंडिया टीवी
अजीत अंजुम,प्रबंध संपादक,इंडिया टीवी
आशुतोष के बयान को अजीत अंजुम ने कहा निंदनीय !
आशुतोष के बयान को अजीत अंजुम ने कहा निंदनीय !

आशुतोष ,मैं आपको बेहद संवेदनशील इंसान मानता था लेकिन दिल्ली में एक किसान की ख़ुदकुशी के बाद आपने जिस ढंग से रिएक्ट किया , उसके बाद से आपकी संवेदनशीलता संदिग्ध हो गई है . हाँ , ये सच है कि मरते हुए उस किसान को बचाने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को पेड़ पर नहीं चढ़ना चाहिए था , शाखाओं से नहीं लटकना चाहिए था लेकिन क्या करना चाहिए था , आपको पता है . वैसे किसी आदमी को को बचाने के लिए किसी खास आदमी ( खास आदमी इसलिए क्योंकि अपने बयान में आपका ज़ोर केजरीवाल के नाम से ज़्यादा उनके पदनाम पर ज़्यादा है …दिल्ली के मुख्यमंत्री ) को पेड़ पर चढ़ना भी पड़े को कोई गुनाह नहीं . आपको पता होगा कि कुछ ही दिनों पहले चंडीगढ़ के सुकना लेक में डूबते हुए किसी शख्स को बताने के लिए पास से गुज़र रहे हाईकोर्ट के जज पानी में कूद गए और डूबते -उतराते हुए उसे बचा लिया , जबकि वहाँ तमाशबीनों की तादाद कम नहीं थी . आज तो वहाँ आपके नेता और कार्यकर्ता सब थे . फिर भी ऐसा बयान कैसे दे सकते हैं आप आशुतोष ?

ABP NEWS की रिपोर्टर सरोज सिंह ने सही सवाल पूछा कि वोट लेने के लिए तो केजरीवाल बिजली कनेक्शन काटने ख़ुद बिजली मिस्त्री बनकर पहुँच सकते हैं तो यहाँ तमाशा क्यों देखते रह गए ? जवाब में आपने जो कहा उसे सुनकर मुझे अफ़सोस है . आज दिन भर मुंबई में था और आपके उटपटांग बयान की जानकारी मिलने पर यक़ीन नहीं था कि आपने ऐसा बयान दिया होगा , लिहाज़ा पूरे दिन चुप रहा . अभी घर पहुँचते ही टीवी पर आपका बयान देखा तो रहा नहीं गया . वहाँ क्या हुआ ? कैसे हुआ ? गजेन्द्र कौन था ? उसके इरादे क्या थे ? उसे कैसे बचाया जा सकता था ? इन सवालों का जवाब तो मिल जाएगा ( मैं अभी नहीं जानता ) लेकिन आपके बयान को किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता . निंदनीय . दुनिया मानती और जानती है कि मैं आपका दोस्त हूँ लेकिन दिनकर की पंक्तियाँ याद है न आपको -जो तटस्थ रहेगा , समय लिखेगा समय लिखेगा , उसका भी अपराध .
तो आज तटस्थ नहीं रह पाया दोस्त ….

@fb

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