ओम थानवी
(1) बेहतर सवालों के बावजूद अर्णव की आवाज (बोलती) अंत तक खुल ही नहीं पाई। उनका हिलेरी क्लिंटन वाला इंटरव्यू याद हो आया। मजा रहा कि अर्णव दूरदर्शन के सम्पादित अंश के संदर्भ में “सेंसर” पद प्रयोग करते रहे और मोदी कहते थे संपादन चैनल का अधिकार है, मुझे तो इंटरव्यू पर हुई प्रतिक्रिया की वजह से संपादित अंश का हवाला देना पड़ा।
मोदी: टाइम्स नाउ भी संपादित करे अगर करना हो;
अर्णव: हम नहीं करते।
और अर्णव ने जो कहा, कर भी दिखाया:
अंत में अर्णव का धन्यवाद कर मोदी कैमरे की ओर हाथ जोड़कर देश की जनता की अभ्यर्थना करने लगे। मुझे वोट दो जैसी मुद्रा थी।
धन्यवाद के बाद यह संपादन के निहायत काबिल अंश था। पर अब मोदी का कहा कौन संपादित करे? वे सदा के लिए अपना संदेश दे चुके और आज अपने आपको आपके संपादन अधिकार की रक्षा का रखवारा भी जाहिर कर गए!
(2)टाइम्स नाउ का इंटरव्यू मोदी के अब तक के साक्षात्कारों में श्रेष्ठ लगा। पर उसे तत्काल दुबारा क्यों दिखाया गया? खत्म होते ही इंटरव्यू शुरू से दुबारा शुरू हो गया! ऐसा कम से कम मैंने तो आज तक नहीं देखा-सुना।
(स्रोत-एफबी)