आपने ‘आँखों देखी’ फिल्म देखी? न देखी हो तो देख आएं

ओम थानवी, संपादक, जनसत्ता

 

आपने ‘आँखों देखी’ फिल्म देखी? न देखी हो तो देख आएं। अच्छी है। रजत कपूर की पटकथा और निर्देशन, संजय मिश्र और सीमा पाहवा का अभिनय याद रहेगा। निम्न मध्यवर्ग की परिस्थितियों और विसंगतियों की प्रामाणिकता प्रभावित करती है। उन्हें अपने मतलब के लिए साज-बाज नहीं किया गया है। दर्शकों को लुभाने वाले टोटके नहीं हैं। यानी न ग्लैमर, न आज की फैशन वाला विदेश, न देशीय पर्यटन। और हाँ, सहज हिंदी भी सुनने को मिलेगी। फिल्म ज्यादा चलेगी, इसमें संदेह है। पर अच्छी फिल्म देखने वालों को इससे क्या?

(रोत-एफबी)

Shaneer N Siddiqui फिल्म देखने के बाद बस एक ही फीलिंग आई थी “अर्दभुत” – फिल्म को वही महसूस कर सकता है जो उस परिवेश से आया हो।..

Rakesh Rk फिल्म बेहद अच्छी लगी, तुलना सही नहीं पर चूँकि यह सॉफ्ट कार्नर रहता ही है मन में कि अच्छी लो बजट फ़िल्में ढंग से चलें तो उस नाते कहने में संकोच नहीं कि इससे बहुत बड़ी सफलता पाई फिल्म “क्वीन” से यह ज्यादा मनोरंजक और बहुत लिहाज से बेहतर फिल्म लगी| “कंगना” को वहाँ से हटा दें तो फिल्म में ध्यान कई बार उखडा यहाँ कोई भी सितारा नहीं था, पर फिल्म ने बांधे रखा| रघु रोमियो में अटपटे ढंग से शुरुआत करने वाले रजत कपूर ने “मिथ्या” में लय पानी शुरू कर दी थी और अब “आँखों देखी” में वे खिल गये हैं| अंत को एब्सट्रेक्ट फॉर्म में न छोड़ते तो फिल्म जमीन पर बहुत गहरी नींव उत्पन्न कर लेती|

बहरहाल फिल्म सैटेलाईट और डीवीडी के जरिये बहुत बड़ी संख्या में लोगों को लुभायेगी और वहाँ से भी अच्छा रेवेन्यू इसे मिल जाएगा| सिनेमा हाल में सफलता को बहुत सारी बातें प्रभावित करती हैं और फिल्म की अपनी गुणवत्ता बहुत बार इन् सब तत्वों से पार नहीं पा पाती|

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.