आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने उत्तर प्रदेश शासन और डीजीपी, यूपी द्वारा नियमों का उल्लंघन करते हुए उनके संवैधानिक अधिकार का हनन करने के खिलाफ कैट, लखनऊ बेंच में याचिका दायर किया है.
याचिका के अनुसार अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियमावली के नियम 17 में प्रावधान है कि प्रत्येक आईपीएस अधिकारी राज्य सरकार से अनुमति ले कर प्रेस के सामने सरकारी मामलों में अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकता है लेकिन आवेदन के 12 सप्ताह बाद यह अनुमति स्वतः मान ली जाती है.
ठाकुर ने गोंडा एसपी के रूप में शस्त्र जांच में फर्जी फंसाए जाने के मामले में 28 अक्टूबर 2012 को अनुमति मांगी और 12 सप्ताह बीतने के बाद 18 जनवरी 2013 को प्रेस वार्ता निश्चित किया लेकिन सरकार ने एक दिन पहले इस पर रोक लगा दी.
ठाकुर ने इस रोक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का हनन बताते हुए ऐसा आदेश पारित करने वालों पर कार्यवाही करने और उन्हें मुआवजा देने की मांग की है.







