प्रेस विज्ञप्ति
दिल्ली विश्वविद्यालय के अंबेडकर कॉलेज का दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम चेतना-2015 अपने दर्जनभर सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिताओं के साथ सम्पन्न हो गया. पिछले साल के मुकाबले अबकी बार दूसरे कॉलेज एवं संस्थानों की मौजूदगी दुगुने से भी ज्यादा रही जिसकी एक बड़ी वजह ऑनलाइन एन्ट्री और सोशल मीडिया के जरिए इससे जुड़ने जैसी सुविधा रही.
पहले दिन की प्रतियोगिताओं, खासकर नुक्कड़ नाटक के जरिए प्रतिभागियों ने किसान आत्महत्या, भारतीय सेना की तकलीफों और लिंग भेद जैसे गंभीर मुद्दे को सामने लाने की कोशिश की वहीं दूसरे दिन फैशन शो और डांस प्रतियोगिता की अलग-अलग कैटेगरी के अन्तर्गत यौन उत्पीड़न और स्त्री हिंसा जैसे सवालों को सामने रखा. आमतौर पर फिल्मी गानों, पाश्चात्य धुनों, कॉस्ट्यूम और भाव-भंगिमा पर आधारित ये विधाएं ज्यादा से ज्यादा दर्शकों को अपनी ओर खींचते हैं. इन प्रतियोगिताओं में अपेक्षाकृत दर्शकों एवं प्रतिभागियों की संख्या भी ज्यादा हुआ करती हैं. लेकिन थीम आधारित डांस एवं फैशन शो होने के कारण ये प्रतिभागी दर्शकों के बीच गहरा प्रभाव और गंभीर संदेश प्रसारित करने में सफल रहे.
इसी तरह फेस पेंटिंग प्रतियोगिता में किसी ने अपने चेहरे को उस भारत के नक्शे के रूप में तब्दील कर दिया जो आतंकवाद, घरेलू हिंसा, व्यवस्था की दोहरी नीति जैसी समस्याओं से जूझ रहा है. इसी कड़ी में दूसरे दिन की मुख्य अतिथि मशहूर कत्थक नृत्यंगना कमालिनी ने कहा कि कला में कशिश होती है जो न सिर्फ संगीत, नृत्य जैसी विधाओं को सुर में रखना सिखाती है बल्कि ये हमारी जिंदगी को भी सुर देती है. हमें चाहिए कि हम इस देश की विरासत को बेसुरा न होने दें.
एकल नृत्य( सोलो डांस) की शहीद भगत सिंह की विजेता रही सैंडल ने बैली डांस के जरिए स्त्री की उन तकलीफों को उभारा जो अक्सर मीडिया के मुद्दे बनते रहने के बावजूद जमीनी स्तर पर उसी अनुपात में बदलाव हो नहीं पाते. पोस्टर मेकिंग में प्रथम पुरस्कार हासिल करनेवाले देशबंधु कॉलेज के फरहान सलिक ने पोस्टर में जिस समाज को व्यक्त किया, वो वाकई चिंतित करनेवाला है.इसी तरह फेस पेंटिंग प्रतियोगिता में भीमराव अंबेडकर कॉलेज के हेमंत ने चेहरे पर जिस हिन्दुस्तान को उकेरा वो अभी भी आतंकवाद, व्यवस्था की दोहरी नीति और घरेलू समस्याओं से जूझ रहा है.
इस दो दिन तक चलनेवाले सांस्कृतिक उत्सव के संदर्भ में जिसमे कि इग्नू, जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, एनएसडी सहित दिल्ली विश्वविद्यालय के पच्चीस से भी ज्यादा कॉलेज शामिल हुए, अंबेडकर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. जी.के.अरोड़ा का कहना है कि छात्रों की अभिरुचि , अपनी भावनाओं और विचार को व्यक्त करने का तरीका और विधाएं अलग-अलग हो सकती हैं लेकिन ये देखना बेहद सुखद अनुभव है कि ये बच्चे समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी बखूबी समझते हैं, देश-दुनिया की गतिविधियों से जुड़े हुए हैं. चेतना जैसा सांस्कृतिक कार्यक्रम आनेवाले सालों में उन्हें कहीं ज्यादा बेहतर सुविधा और मौके प्रदान करने जा रहा है. चेतना-2015 के संयोजक और अंग्रेजी विभाग के प्राध्यापक संजीव कुमार ने सभी प्रतिभागियों, कॉलेज प्रशासन एवं छात्रों का धन्यवाद देते हुए कहा कि चेतना के सांस्कृतिक कार्यक्रम जहां छात्रों के लिए अपना हुनर दिखाने का मौका हुआ करते हैं, वहीं हम शिक्षकों के लिए नए सिरे से समाज और बदलती पीढ़ी को समझने का बेहतरीन जरिया.
शहीद-ए-आज़म भगत सिंह जी के 85वें शहादत दिवस में रक्तदान शिविर
भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए 23 मार्च 1931 को केवल 23 वर्ष की आयु में हँसते-हँसते फाँसी का फंदा चूमने वाले भारत के महान क्रान्तिकारी, अग्रणी स्वतन्त्रता सेनानी, महान देशभक्त शहीद-ए-आज़म भगत सिंह जी के 85वें शहादत दिवस पर दिनांक 22 मार्च 2015 (रविवार) को वीरो की देवभूमि गांव धारौली, जिला झज्जर (हरियाणा) में जिला रेड क्रॉस सोसायटी, झज्जर के सहयोग से रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है। शहीद भगत सिंह जी ने देश की आजादी और देश की आन बान के लिए सारी जिन्दगी समर्पित कर दी थी । शहीद भगत सिंह जी के 85वें बलिदान दिवस पर रक्त शिविर में 85 यूनिट रक्त एकत्रित किया जाएगा।धरौली वीरो की देवभूमि इसलिए है क्यूंकि धरौली के कई वीर सैनिकों/फौजियो ने हंसते-हंसते अपने प्राणो की कुर्बानी दे मातृ-भूमि की रक्षा की। धरौली, झज्जर-कोसली रोड पर स्थित है। झज्जर, डाकला /सुबाना व कोसली रेलवे स्टेशन से धरौली की दूरी क्रमश 24, 8/6 व 6 किलोमीटर है।
मनुष्य जीवन भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ उपहार हैं। यह भी एक शाश्वत सत्य हैं कि जिसका जन्म हुआ हैं उसकी मृत्यु भी निश्चित हैं। मनुष्य शरीर नश्वर व क्षण-भंगुर हैं। इस नश्वर मानव शरीर से दिया हुआ रक्त अगर किसी व्यक्ति की अंधेरी जिंदगी में उजियारा लेकर आता है तो इससे बड़ा पुण्य और परोपकार की बात क्या हो सकती है। महृर्षि वेदव्यास जी ने 18 पुराणों में दो ही वचन कहे है।प्रथम-परोपकार से बढ़कर पुण्य नहीं और द्वितीय-दुसरो को दुख पहुंचाने से बढ़कर पाप नहीं है। महर्षि दधीचि ने भगवान इन्द्र के माँगने पर अपने शरीर की हड्डियाँ तक दान कर दी थी। महर्षि दधीचि की हड्डियों से वज्र का निर्माण हुआ और वृत्रासुर मारा गया। राजा शिवि कबूतर की रक्षा के लिए अपने शरीर का मांस तक काट कर तराजू में रख देते हैं तो भगवान श्री राम के पूर्वज राजा दिलीप गाय की रक्षा के लिए स्वयं को बलिदान करने को तत्पर हो जाते हैं। राजा मेघरथ ने अपने शरीर का मांस-दान करके बाज के हाथों कबूतर की प्राण रक्षा की थी। दानवीर कर्ण ने अपने पिता सूर्य देव के द्वारा इन्द्र की मंशा का रहस्य जानते हुए भी अपने शरीर पर चिपके कवच कुण्डल तक उतार कर दान कर देता है तो वीर बर्बरीक कुरुक्षेत्र की युद्धभुमि में भगवान श्री कृष्ण को अपने शीश का दान देता है। श्री कृष्ण ने बर्बरीक को वरदान दिया कि तुम श्री श्याम नाम से प्रसिद्ध होगे।
जब हमारे पूर्वज महर्षि दधीचि, राजा मेघरथ, वीर बर्बरीक, राजा दिलीप, राजा शिवि, दानवीर कर्ण को उनकी परोपकारिता और दानवीरता के कारण आज भी उनका नाम बड़े गर्व के साथ लिया जाता है। आइये आप और हम भी आपने पूर्वजों के परोपकारिता और दानवीरता के मार्ग पर बढ़ते हुए रक्तदान करें। रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं होता है। आपके खून की चंद बूंदों से किसी घर का चिराग बुझने से बच सकता है। हमारे द्वारा दिया गया रक्त किसी की जान बचा सकता है। यह सार्वभौमिक सत्य है की चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में तमाम तरक्की के बावजूद रक्त को किसी लैब, फैक्टरी या संस्थान में तैयार नहीं किया जा सकता है और न हीं मनुष्य को जानवर का खून दिया जा सकता है। रक्तदान करने से लोग कुछ हिचकते हैं जो गलत है। प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति को अवश्य रक्तदान करना चाहिए। रक्त दान करना एक शुभ कार्य है। सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविन्द सिंह जी ने कहा था कि “देहि शिवा वर मोहि इहै शुभ करमन ते कबहूं न टरूं” हे भगवान शिव, मुझे यही वरदान दीजिए, कि मैं शुभ कार्यों को करने से कभी पीछे न हटूं,उन्हें कभी न टालूं।
रक्तदान करने के लाभ- ‘जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन’ ने अपने शोध में पाया कि रक्तदान करते रहने से हार्ट अटैक का खतरा 80 प्रतिशत कम हो जाता है। नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के जर्नल में प्रकाशित एक शोध पत्र में बताया गया है कि शरीर में आयरन का उच्च स्तर कैंसर को जन्म देता है। रक्तदान करने से आयरन का लेवल कम हो जाता है और कैंसर का खतरा 95 प्रतिशत कम हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी कि कुंडली में मंगल दोष है या तरक्की में यह आड़े आ रहा है तो आप रक्तदान कर मंगल दोष से शांति/ मुक्ति पा सकते हैं। कौन कर सकता है रक्तदान :कोई भी स्वस्थ व्यक्ति जिस की आयु18 से 60 वर्ष है, 45 किलो से अधिक वजन है और हीमोग्लोबिन 12.5 से ज्यादा है तो रक्तदान कर सकते हैं ।
रक्तदान करने के इच्छुक अपनी तस्वीर, नाम और पता WhatsApp No. 9467037054 (श्रीमान चमन प्रकाश) या WhatsApp No 09718139191(श्रीमान सोमबीर लांबा ) को भेजकर पंजीकृत कर सकते है। गवर्नमेंट कॉलेज, कोसली(रेवाड़ी) में बाणिज्य द्वितीय वर्ष के विद्यार्थी अंकित जांगड़ा और गवर्नमेंट पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज, झज्जर में विज्ञान प्रथम वर्ष के विद्यार्थी परमेश लांबा को रक्तदान करने के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए गुडविल एंबेसडर बनाया है।
कृपया ध्यान दें: उपरोक्त रक्तदान शिविर में जिला रेड क्रॉस सोसायटी, झज्जर द्वारा रक्तदाताओं को खाद्य सामग्री (केला, दूध, सेब और फ्रूटी) प्रदान किया जाएगा और रक्तदान शिविर के दौरान ही रक्तदान करने वाले सभी रक्तदाताओं को जिला रेड क्रॉस सोसायटी, झज्जर की ओर से प्रमाण-पत्र संबंधी प्रशंसा पत्र तथा ब्लड डोनेशन कार्ड भी दिए जाएंगे।
आइये अगर-मगर किंतु-परंतु कहना छोड़िए और रक्तदान कीजिए, जीवनरक्षक बनिए। रक्तदान करें और स्वस्थ रहें । शहीद भगतसिंह अमर रहे। वंदे मातरम्।
युवा साथी भाई सत्य भगवान (तुम्बाहेडी,झज्जर मोबाइल नंबर 9416492139 ) भाई यशपाल चोपड़ा (बहादुरगढ़ मोबाइल नंबर 9996498977) भाई आनंद लांबा(धारौली, झज्जर मोबाइल नंबर 9813302242) रक्तदान शिविर के जलपान समिति के सदस्य होगे ।
रक्तदान के लिए संपर्क करें: युद्धवीर लांबा -9466676211 जितेंद्र शर्मा 9671938698 हरबीर लांबा 9991626592 सोमबीर लांबा 09718139191 राजेन्द्र सेठ 8059322686 प्रवीन जांगड़ा 09582675472 सोशल मीडिया फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी आप हमें फ़ॉलो कर सकते हैं। ट्विटर पर login करें twitter.com/yudhvirsinghlam.फ़ेसबुक पर login करें http://www.facebook.com/yudhvirjajjar , http://www.facebook.com/sombir.lamba.54?fref=ts , http://www.facebook.com/chaman.prakash1
रक्त दान से बढ़कर,कोई बड़ा न दान- जीवनदाता बनकर, बन जाता भगवान ॥जब तक सूरज चांद रहेगा भगत सिंह तेरा नाम रहेगा॥भवदीय-युद्धवीर सिंह लांबा