आलोचक कहते हैं कि टेलीविजन पत्रकारिता में प्रतिभावान लोग नहीं हैं. लेकिन कुछ टेलीविजन पत्रकार उस भ्रम को लगातार तोड़ रहे हैं. आलोक श्रीवास्तव ऐसे ही पत्रकार हैं. आजतक चैनल में रहते हुए ही उन्होंने दुनिया को अपनी रचनात्मकता से चमत्कृत कर दिया. प्राइवेट चैनल से अब वे सरकारी चैनल दूरदर्शन में आ चुके हैं लेकिन उनकी रचनात्मकता जारी है. ताजा उदाहरण उनका एक गीत है जो विनोद कापड़ी की राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से पुरस्कृत फिल्म ‘Can’t Take this shit anymore/ शपथ’ का हिस्सा है. पढ़िये ये गीत और फिल्म को अवार्ड मिलने पर क्या कहते हैं आलोक –
ll National Award ll
Feeling thrilled being lyricist of theme song ‘Tatti’ of National Award Winning film ‘Shit’. This movie has been awarded as the Best Film on social issues.
Thank you so much Bhai Vinod Kapri India for trusting & associating me with this great cause. Many more congratulations once again !
ll टट्टी : Theme Song Of ‘Shit’ ll
रोगवा से होत नाहीं कट्टी मैं का करूं
खेतवा में जाए पड़े टट्टी मैं का करूं
सइयां गए ओर मुबाईल ले आए
बबुआ शहरिया से टीवी मंगाए
घरवा बनायन नाहीं टट्टी मैं का करूं
खेतवा में जाए पड़े टट्टी मैं का करूं
जियरा में लागेला खितवा में खटका
देखाहो ताकेला मुखिया के लड़का
बुधुवा के नजरिया लागे खट्टी मैं का करूं
खेतवा में जाए पड़े टट्टी मैं का करूं
सास-ससुर जी के लजिया सतावे
घंुघटा मे हमके अरे रहे सिखावे
पर घर मा बनवावे नाहीं टट्टी मैं का करूं
खेतवा में जाए पड़े टट्टी मैं का करूं
दारू में रोजे देखहअ रुपय्या लुटावें
घरवा मा तबो नाहीं टट्टी बनवावें
बात बताए इहे पक्की तू कुछु करा
बहरे नाहीं जाईब अबहम टट्टी तू कुछु करा
रोगवा से होत नाहीं कट्टी मैं का करूं
खेतवा में जाए पड़े टट्टी मैं का करूं.