Prakash Lalit
सर ने बहुत कोशिश तो की शायद हंसते चेहरे से भावनाओं का ज्वार रोक लें…लेकिन उनकी आखों ने उनका साथ नही दिया…मुझे अपने हाथों से केक खिला रहे है…और अपनी आखों से जाने कितनी सारी बातें एक साथ बता देना चाहते है…वो पल आखों के सामने से जा ही नही रहा…आपके गले लगना चाहता था..पर पता नही बोल ही नही सका…
Vipin Chaubey
अजीत अजुम…….हिदी टीवी न्यूज की दुनिया और संपादको की दुनिया का एक ऐसा नाम जिसको मैने दिल्ली में अपने पत्रकारिता के कालेज में कदम रखते सुना….उनके तेवर..कलेवर..अंदाज की चर्चा इंटर्नशीप आते आते और जान गया…उत्सुकता इतनी बढी की ये तमन्ना में तब्दील हो गयी की कभी अजीत जी के साथ काम करने का मौका मुझे भी मिले। खैर किस्मत ने ये भी दिन दिखाया और आजाद न्यूज से सीएनईबी न्यूज होते हुए न्यूज 24 पहुचा। अजीत जी के साथ काम करने का सौभाग्य मिला मुझे। तकरीबन 3 साल उनके काम किया इस दौरान कई खट्टे मीठे अनुभव के साथ अजीत जी ने मुझे कई मौके दिए। न्यूज 24 में रहते हुए दिल्ली आफिस के कई सहयोगी और दोस्तो से सुना था की अजीत जी गाहे बहागे मेरी भी तारीफ कर दिया करते थे। खैर इन सबके बीच 1 सिंतबर 2013 का वो दिन आया जब मुझे न्यूज24 से अलग होना पड़ा । अजीत सर का प्यार था जो उन्होने मुझे रोकने की कोशिश की लेकिन परिस्तिथियां ऐसी बनी मै रुक न सका और मुझे इंडिया न्यूज ज्वाईन करना पड़ा। इस बात को लेकर अजीत सर कुछ दिन तक मुझसे नाराज भी रहे लेकिन फिर उनका वही मस्तमौला अंदाज में कहा गया वो शब्द बढिया काम करना….आज भी याद है। अब जब सुना की अजीत सर न्यूज 24 से जा चुके है तो बस यही लगता है की फूलो के उस बगीचे को सीच कर फुलवारी बनाने वाला माली आज वहा से जा रहा है लेकिन विश्वास ये भी है की ये जहा जाएगे फूलो का एक वैसा ही बगीचा वहां भी तैयार होगा और उसमें एसै ही रंग बिरंगे फूल खिलते रहेगे।
Akash Sinha
अजीत सर, सिर्फ नाम ही काफी है…
पहली बार जब न्यूज़ 24 में इंटरव्यू देने आया था उस दिन जाते जाते काफी खुश था अजीत सर से पहली बार मुलाकात जो हुई थी, अब तक सिर्फ ये नाम ही सुना था या टीवी पर देखा था उन्हें…
रनडाउन पर ज्यादा वक्त नहीं गुजरा था, अपने करियर की सबसे बुरी डांट उन्हीं से सुनी। हालांकि कुछ ही मिनटों बाद केबिन में बुलाकर उन्होंने समझाया भी…
एक बार पैकेज की स्क्रिप्ट लिखी, जिसे अजीत सर घर पर देख रहे थे…तत्काल डेस्क पर उनका फोन आया और उन्होंने बहुत तारीफ की। साथी और सीनियरों ने कहा भी कि आज नींद नहीं आएगी तुम्हें…वाकई उस दिन बहुत खुश था मैं…
रनडाउन पर बैठते वक्त जैसे ही उनके नाम का टाकबैक एक्टिव होता था, सारी डेस्क एक्टिव हो जाती थी. संकेत होता कि सावधान, सर आ चुके हैं…
न्यूजरूम में आते वक्त सबसे पहली नजर उनके केबिन के टीवियों पर पड़ती थी. टीवी चालू रहते, मतलब सर आ चुके हैं…
ऐसे ही कई किस्से-कहानियां हैं, जो बेहद कम समय में अजीत सर के साथ रहते हुए याद हैं…सर के साथ जितने वक्त भी काम किया, इतना कह सकता हूं कि वो अब तक के सबसे बेहतरीन संपादक रहे…
बेहद अफसोस है कि न्यूज 24 में कल सर का आखिरी दिन था, और उस दिन मैं मौजूद नहीं था लेकिन तस्वीरों और अपने साथियों के पोस्ट पढ़कर सब कुछ जीवंत लग रहा है।
एग्रेसिव, बेबाक, बेजोड़, बेमिसाल, बेहतरीन
शायद इसीलिए सिर्फ नाम ही काफी है…
Prakash Lalit
सर का आज न्यूज़ 24 के दफ़्तर में आख़िरी दिन था…सुबह से पता था…बस मानना नही चाहता था..सर आए तो हमेशा की तरह आज भी न्यूज़ रूम का दरवाजा झटके मे खुला..सर हमेशा की तरह अपनी रफ़्तार मे थे…लेकिन आज पहली बार सर को छिपते देखा, बचते देखा…लेकिन सब उन्हे ही ढूँढ रहे थे…सर के लिए ये मुश्किल तो था ही, लेकिन कुछ लोग जिन्हें उनकी डाँट, उनकी तारीफ़,उनकी सराहना सुनने की आदत थी..उनके लिए ये देखना और उसपे यकीन करना मुश्किल रहा…सर अपने 19 साल के सफ़र के बारे में जो कुछ भी वो लिख सके अपना संदेश लिख कर बता दिया..मैं तो जो कुछ भी उनसे सिख सका जो भी बीती यादें थी उनमें कुछ और पल जोड़ लेना चाहता था…सर का न्यूज़ रूम में आख़िरी दिन था तो केक भी कटा, जलेबी भी बांटी गई,समोसे खिलाए गये…लेकिन ये कोई जश्न नही था…पाँच महीने में मैने जो कुछ भी सर \से सीखा जितना कुछ भी कर सका और उसमें मुझे जो लगा..जैसे खुद आसमान धरती से आकर ये कह रहा हो की परेशानी की बात नही है..सावन आने वाला है…आप एक संस्थान की तरह है..आप पिता की तरह है, आप गुरु भी है…क्या क्या है??कैसे है???बहुत मुश्किल है लिख पाना…आपने सच ही लिखा सर आज आपकी आखें ही बात कर रही थी…talkbak पे आपकी आवाज़ प्रकाश को भेजो अब सपने में ही सुन सकूँगा…प्रकाश तुमने ये नही दिया, ये अच्छा है गुड ,अरे यार वो तुमने अभी तक कोई बाइट नही दी है, मुझे अभी तक कुछ नही मिला है,अरे हाँ यार ये इंपॉर्टेंट है गुड,अच्छा प्रकाश सुनो अच्छा काम करते हो आगे जाओगे लिखने पर ध्यान दो, ये लड़का अच्छा काम करता है, प्रकाश आज क्या करें बताओ?? जल्दी करो पाँच बज गये…आज मूड नही है करने का… सुनो मैं ही कर रहा हूँ रिसर्च निकालो जल्दी करो…ये कीवर्ड डालो तो मिलेगा..खबर समझो…और ना जाने आपकी वो कितनी बातें वो कितने ही सबसे बड़ा सवाल के एपिसोड्स और उससे जुड़ी यादें…वो सब कुछ आखों के सामने जैसे सपने की तरह, एक इतिहास की तरह,,जो भी था शानदार और खूबसूरत था…वो दिन वो हलचल वो आपकी आवाज़ सब कुछ फिर से उन दिनों को वापस ला पता काश…आपकी याद आएगी सर….आपकी नयी शुरुआत के लिए शुभकामनाएँ…आपका प्रकाश
हिरेन्द्र झा
अभी अभी अजित अंजुम सर की विदाई चिठ्ठी पढ़ी जो उन्होंने कल न्यूज़ 24 के अपने साथियों को लिखी थी। कई लोग अपने-अपने तरीके से अजित अंजुम के साथ अपने अनुभव साझा कर रहे हैं और ऐसा क्यों है ये मैं बेहतर तरीके से समझ सकता हूँ! एक बार 2006 में Shailja दी से मिलने न्यूज़ 24 के दफ्तर गया था, उसी दिन मैंने पहली बार अजित सर को देखा। कभी बात नहीं हुई, न कोई परिचय ही! फिर, कई मित्र न्यूज़ 24 से जुड़े और गाहे-बगाहे अजित अंजुम का ज़िक्र होता रहा ! मैं फेसबुक से देर से जुड़ा था और जब जुड़ा अजित अंजुम के पांच हज़ार मित्रों की संख्या पूरी हो चुकी थी। तो वे मेरे मित्रता सूची में नहीं थे। एक रात मैंने उन्हें चेट बॉक्स में लिखा कि आपके फ्रेंड लिस्ट में नहीं हूँ इसलिए आपके पोस्ट नहीं पढ़ पाता! अगली सुबह देखा कि उनका फ्रेंड रिक्वेस्ट आया हुआ है। जहाँ कई मठाधीश आपके कुछ पूछने पर कभी जवाब नहीं देते वहां उनका ये व्यवहार अच्छा लगा। 2012 में मैंने एक किताब पर काम करना शुरू किया। किताब अभी तक आई नहीं है लेकिन उसी बहाने मैं मीडिया में फैले तमाम तरह की अच्छाइयों-बुराइयों से रूबरू हुआ। उसी सिलसिले में देश के सभी संपादकों और बड़े पत्रकारों से मिलने का मन बनाया। कुछ मिले, कुछ नहीं मिले, कुछ ने गालियां दी, कुछ ने डांटा, कुछ ने बुरी तरह डांटा! एम जे अकबर की डाँट का असर ये हुआ कि दुबारा किसी संपादक को फ़ोन करने की हिम्मत जुटाने में मुझे दो-तीन महीने लग गए। डरते-डरते एक दिन अजित अंजुम को फ़ोन मिलाया। Varun भाई ने जो कुछ किस्से सुनाये थे तो उनके गुस्से से भी परिचित था लेकिन उन्होंने बड़े मीठे लहजे में बात की लेकिन इंटरव्यू देने से मना कर गए! खैर, बाद में उनसे मिला भी, इंटरव्यू भी किया और कैसी बात-चीत रही होगी इसका अंदाजा आप इस तस्वीर से लगा सकते हैं। तस्वीर Shashi ने ली थी जो उनदिनों न्यूज़ 24 में ही था और आज कल कौन बनेगा करोड़पति की शूटिंग में अमिताभ बच्चन के साथ व्यस्त है। बात अजित अंजुम की, मैंने पिछले आठ साल में किसी भी संपादक को इतने गरिमामयी अंदाज़ में किसी संस्थान से विदाई लेते नहीं देखा। अभी कुछ महीने पहले मैं लखनऊ था, सात बजते ही ससुरजी थोड़े सतर्क हुए, बाद में मालुम हुआ वो सबसे बड़ा सवाल देख रहे थे। इस प्रोग्राम ने आपको घर-घर में लोकप्रिय बनाया। अपने अनुभव से बस यही कह सकता हूँ कि जो आपसे एक बार भी मिल ले वो पूरी ज़िंदगी आपको नहीं भूल सकता! अभी जिस वक़्त मैं यह लिख रहा हूँ तो मेरे भीतर जैसे एक रौशनी सी चमकी हो। प्रणाम। हाँ ये ज़रूर खटका कि इंडिया टीवी जा रहे हैं…फिर भी शुभकामनाएं ! वैसे भी हम न्यूज़ 24 कहाँ देखते थे बस ‘सबसे बड़ा सवाल’ में आपको देखते थे…
(स्रोत-एफबी)