वेद उनियाल
एनडीटीवी पर श्री अभय कुमार दुबे को हमेशा केवल भाजपा के विरोध में प्रलाप करते हुए पाया तो इसकी वजह जानने की कोशिश की।
1- अनुभवी लोगों ने बताया कि ये भाजपा के बारे में टिप्पणी कर सकते हैं । लेकिन मुलायम सिंह और उनकी सपा के खिलाफ कभी नहीं कहेंगे। जब तक उप्र में सपा की सरकार है । उप्र के बारें में एक शब्द नहीं कहेंगे। कारण क्या है मालूम नहीं। धन्य है पत्रकारिता
2- अनुभवी लोगों ने बताया कि ये भाजपा के खिलाफ ही बोलेंगे, लेकिन कभी आप पार्टी , खासकर आप पार्टी के नेता योगेंद्र यादव वाले गुट के खिलाफ कभी नहीं बोलेंगे। उस पर एक शब्द नहीं कहेंगे। कारण क्या है मालूम नहीं। पर धन्य हो पत्रकारिता।
हां य़ाद आया कि एक दिन भाजपा विरोध के अपने अति उत्साह में ये कह गए थे कि पूर्वानुमान करने वाले भाजपा को जम्मू कश्मीर में तीन सीट दिखा रहे हैं। जरा इनसे ये तो पूछिए कि भाजपा ने वहां तीन सीट में प्रत्याशी खड़े भी किए हैं या नहीं। … हम टीवी के दर्शकों के लिए इतना काफी था यह जानने के लिए कि पूर्वाग्रह से ग्रसित वक्ता यह भी नहीं देख पाता कि जम्मू कश्मीर में भाजपा कितने सीटों पर लड़ रही है। और वास्तव में उसके क्या नतीजे आए। टीवी वालों ने शायद इसकी जरूरत नहीं समझी हो कि ऐसे वक्ता को बाद में जम्मू कश्मीर का परिणाम बताया जाए।
भाजपा की कार्यशैली और नीति में अगर कहीं कमी है तो उसका भी जम कर विरोध होना चाहिए। लेकिन टीवी के कैमरे के सामने बैठने का मतलब अगर भाजपा विरोध ही है तो आप पत्रकारिता के मूल आचरण का सत्यानाश ही कर रहे हैं। इस बात पर हमें नहीं जाना कि टीवी वालों के लिए किसी वायस्ड आदमी की बार बार जरूरत क्यों बनी रहती है। ऐसे लोग उन्हें क्यों नहीं मिलते, जो हर घटना, स्थिति, नीति पर अपनी एक स्पष्ट और साफ सुथरी समीक्षा दें। ताकि आम लोगों को सही सही जानकारी मिले।
(स्रोत-एफबी)