प्रो.जगदीश्वर चतुर्वेदी
स्त्री की चुनौती है पुंसवाद और पुंसवादी राजनीतिक नजरिया। स्त्री तब तक दिल्ली में या देश में असुरक्षित है जब तक वह पुंसवाद से लड़ने को अपना प्रधान लक्ष्य नहीं बनाती । भाजपा या कांग्रेस में शामिल होने से कोई भी औरत ताकतवर और सुरक्षित नहीं बनती। तंदूरकांड से लेकर सोनिया गांधी तक औरत की अवस्था काफी शोचनीय है। इंदिरा गांधी से ज्यादातर ताकतवर कोई महिला नहीं हो सकती। लेकिन वे भी पुंसवाद से जंग को मुख्य़ जंग नहीं बना पायीं। औरतों पर हमले नहीं रोक पायीं। गुजरात में दंगों में हजारों औरतें ही विधवा हुई हैं या यातना की शिकार हुई हैं,1984 के दंगों में भी औरतें ही हमले के केन्द्र में रही हैं। हत्यारे औरतों को ही विधवा बनाकर गए हैं। औरतों के लिए सुरक्षित विकल्प कम से कम भाजपा और कांग्रेस तो नहीं हो सकते। आपातकालीन अनुभव औरतों के लिए नारकीय अनुभव रहा है, उस दौर में संघ ने आपातकाल का समर्थन किया और संघ प्रमुख ने औरतों पर हो रहे जुल्मों के खिलाफ कोई बयान तक नहीं दिया। यहां तक कि देवराला सतीकांड के समय संघ और उसके संगठनों ने खुलेआम सतीप्रथा की हिमायत की।पुंसवाद का औजार बनकर औरत बेहद खतरनाक भूमिका अदा करती है वह अधिनायकवाद की हद तक जा सकती है । इंदिरा गांधी इसका साक्षात प्रमाण है। दुनिया में और भी उदाहरण हैं। पंजाब में औरतों के सामने पुंसवाद से बड़ी चुनौती है नशेबाजी,इसने पूरे पंजाब की औरतों को तबाह किया हुआ है।इस तबाही से बचाना कांग्रेस-भाजपा-अकाली किसी के बस में नहीं है,क्योंकि इन तीनों की विचारधारा में औरत की सुरक्षा का सवाल प्रमुख नहीं है।
औरतों के हकों को वे ही संगठन सुरक्षित रख सकते हैं जो उसके लिए समझौताहीन वैचारिक और राजनीतिक संघर्ष करते रहे हों। औरतों को इसी तरह के संगठनों में शामिल होकर सक्रिय राजनीति करनी चाहिए। इसी प्रसंग में यह भी ध्यान रहे कि भाजपा के लिए औरतें सिर्फ मतदाता हैं और इससे ज्यादा उनका कोई महत्व नहीं है। हां, इस प्रसंग मे कांग्रेस को यह श्रेय जाता है कि उसने औरतों की रक्षा के तमाम बेहतरीन कानून बनाने में पहल की, औरतों के संगठनों की मांगों पर समय-समय पर सकारात्मक कदम उठाए, हाल ही में निर्भयाकांड के समय भी कांग्रेस ने बलात्कार विरोधी कानून में सही परिवर्तन किया। कांग्रेस को भाजपा की तुलना में स्त्री पक्षधर दल कह सकते हैं, कम से कम औरतों के लिए इसने लिबरल स्पेस,लिबरल शिक्षा और लिबरल माहौल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। औरतों की रक्षा के जितने भी कानून बने हैं वे सब कांग्रेस ने बनाए हैं। कांग्रेस का यह गुण है कि वह जन-आंदोलन,महिला आंदोलन की आवाज को सुनती रही है और उससे उठे सवालों के ईमानदारी के साथ समाधान खोजती रही है। गर्भपात के अधिकार से लेकर, छेड़खानी,दहेजप्रथा विरोधी तमाम कानूनों को कांग्रेस ने महिला आंदोलन के दबाव में बनाया। इसके विपरीत संघ और भाजपा ने हमेशा औरतों के लिबरल स्पेस और माहौल का विरोध किया है औरतों पर हमले किए हैं। गुजरात से लेकर दिल्ली तक इसके सैंकड़ों उदाहरण भरे पड़े हैं।
अरविंद केजरीवाल का महत्व यह नहीं है कि उसके पास कोई नई बातें हैं,नया विचार है, नया नजरिया है । केजरीवाल का महत्व इसमें है कि उसने ईमानदारी को मूल्यवान बनाया है। वह निर्विवाद रुप से ईमानदार है। वह ईमानदारी के साथ औरतों की रक्षा में खड़ा है,औरतों के ऊपर जुल्म के खिलाफ खडे होने के कारण ही उसको आलोचनाएं झेलनी पड़ रही हैं । यह भी सच है केजरीवाल के जीतने से पंजाब में औरतों के पक्ष में सजगता बढ़ेगी,भाजपा-अकाली जीतते हैं तो औरतों पर हमले बढ़ेगे। औरतों को बचाना है तो हमें उनके लिबरल स्पेस को बचाना है। भाजपा खुलकर लिबरल स्पेस खत्म कर रही है। इससे औरत और भी कमजोर बनेगी।
औरतें पंजाब-गोवा में जमकर वोट करें ,हर उम्मीदवार से औरतों के सवाल करें और देखें कि वो औरतों के बारे में वे कितना जानते हैं। औरतों के सवाल मात्र बलात्कार के सवाल नहीं हैं, विकास और सांस्कृतिक सुरक्षा के सवाल भी हैं जिन पर औरतें ,स्त्री पक्षधरता की मांग कर रही हैं । अफसोस की बात है सभी राजनीतिक दल इस पहलू पर चुप हैं , सबने मिलकर औरतों के सवालों को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।