दीपक शर्मा,पत्रकार,आजतक
आप से तुम ..तुम से तू ..क्या ये सही है ?
अरविन्द केजरीवाल ने साल भर में हिंदुस्तान की सियासत में अपने लिए जगह बनाई है इस सच से कोई इंकार नही कर सकता . वो इस बार लोकसभा में ज्यादा से ज्यादा सीटें ले कर संसद पहुंचे इसके लिए उन्हें शुभकामनाए.वो वाराणसी से भी जीत आर आयें इसके लिए भी उन्हें शुभकामनाएँ. लेकिन वो चुनाव में जिस भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं वो आम आदमी की भाषा नही हो सकती. चुनाव में नेताओं के नाम लिए जाते है पत्रकारों को नाम लेकर भला बुरा नही कहा जाता.
आजतक को जिस तरह केजरीवाल ने ट्वीट में घसीटा है वो उनके कद को बड़ा नही करता. किसी वरिष्ठ पत्रकार का नाम बार बार लेना ये कहाँ की मर्यादा है ? जब आपके लिए कोई अच्छा लिखता हैं तो आप खुश हो जाते है जब आलोचना होती तो आप आपा खो बैठते हैं. खबर को कोसिए ..ये समझ आता है लेकिन किसी का बिना आधार और तथ्य के नाम घसीटना ये राष्ट्रीय नेता को शोभा नही देता . जो नाम आपने लिया उस शख्सियत से खुद की तुलना कर लेते या अपने नेता आशुतोष से एक बार पूछ लेते. आशुतोष को दुनिया आजतक से जानती है आप से नही. अरे भई जरा सहज होकर तटस्थ भाव से विचार कर लेते ? क्या ये वाणी और विचारों का असंतुलन है या व्यव्हार की निर्भीकता ?
अगर सिर्फ आप निर्भीक हो सकते है क्या मै नही हो सकता ? आएये इमानदारी के दो दो हाथ पहले मुझसे कर लीजिए?
अरविन्द भाई सच ये है कि आप मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठकर दो भ्रष्ट अफसरों को भी जेल नही भेज सके ? लेकिन हमने उन दो महीनो में दिल्ली के पुलिस अधिकारीयों से लेकर जल बोर्ड के दो दर्ज़न अफसरों का स्टिंग किया और उन पर मुक़दमे दर्ज कराये ? भ्रस्टाचार की दिल्ली में ज़मीन पर लड़ाई तो हमने लड़ी? दिल पर हाथ रखकर बोलिए अरविन्द भाई क्या ये झूठ है ?
अरविन्द भाई आप मोदी, अदानी राहुल या वाड्रा को जो जी में आये कहिये वो राजनीति का हिस्सा है लेकिन जो खबर आपके हित ना साध सके उस खबर की खीझ में किसी वरिष्ठ पत्रकार के बारे सार्वजनिक रूप से झूठ बोलना देश के एक प्रधानमंत्री उमीदवार को शोभा नही देता. आप ने मुझे आहत किया मै दिल से बोल रहा हूँ . अभी आपकी सीट पर मतदान होना है इसलिए मै कोई अमर्यादित बात नही कहूँगा …लकिन मतदान के बाद १२ मई की शाम को मेरी बात पर विचार करियेगा ..वैसे आयना दिखाने का विकल्प मेरे लिए भी खुला है .