-अज्ञात कुमार-
आरोप : पत्रकारिता को दलाली बना लेने का हुनर अगर आपको देखना है तो कानपुर नगर की बिल्हौर तहसील में देखें….जहां प्रतिष्ठित समाचार पत्र हिंदुस्तान का संवाददाता बुरी तरह से दलाली में लिप्त है. कोटेदारों,प्रधानों तथा और राजनीतिज्ञों पर खबर का रोब दिखाकर यह कई साल से पैसा लूटता रहा….नतीजे में यह सायकिल विक्रेता से क्षेत्र में अब बड़ा ठेकेदार बन बैठा है….और हिंदुस्तान समाचार-पत्र की साख और पत्रकारिता के पेशे को इसने कमाई का हथियार बना रखा है।
खंड विकास अधिकारी पर इसने दबाव बनाकर कूड़ा-गाड़ी आपूर्ति का ठेका ले लिया…और इसमे जमकर दलाली खाई…जब खंड विकास अधिकारी ने इसे अगली आपूर्ति की डील के लिये मना कर दिया तो इसने बीडीओ को धमकाया कि वह वीडीओ के खिलाफ़ रोज़ खबर छापेगा….और इसने बीडीओ के खिलाफ़ झूठी खबर छाप दी…बीडीओ ने पलटवार करते हुए इसकी दलाली का पोल खोलते हुए इसके दलाल होने के पर्चे छपवाकर ब्लॉक आफिस तथा नोटिस-बोर्ड पर चस्पा करा दिये…जिस पर पत्रकार ने अपने कुछ चहेते अधिकारियों के जरिए बीडीओ पर दबाव बनाया।
इसके अलावा पत्रकारिता की आड़ में दलाली का धंधा चला रहा बिल्हौर हिंदोस्तान का संवाददाता नगर निगम की आपूर्ति तथा बिल्हौर तहसील के अधिकारियों पर दबाव और सामंजस्य बिठाते हुए तकरीबन आपूर्ति के सभी ठेके लेता है…वर्तमान में भी इसके पास नगर निगम बिल्हौर के कई ठेके हैं…..इन ठेकों में इसका तो खेल होता ही है साथ ही यह अधिकारियों को भी लाभ पहुंचाकर अपने साथ मिलाये रहता है.
अभी हाल ही में इसने बिल्हौर में एक बेशकीमती जमीन पर जबरन कब्ज़ा कर लिया है….पीड़ित दर-दर भटक रहा है लेकिन उसकी प्रार्थना सुनने वाला कोई नही है…. इसके अलावा इसने उत्तर भारत के दूसरे नंबर के मेला मकनपुर के सारे ठेके लिये हैं इसमें भी अधिकारियों की कमाई के साथ साथ इस दलाल ने अपनी कमाई के पैंतरे चलना प्रारंभ कर दिया है….
अब सवाल यह है कि दलाली का जाल बिछा चुका बिल्हौर हिंदुस्तान का यह संवाददाता पत्रकारिता में टिका कैसे है तो इसने हिंदुस्तान के कानपुर कार्यालय में भी एक डेस्क इंचार्ज को अपनी दलाली के धंधे में शामिल कर रखा है…जिससे यह हिंदुस्तान जैसे समाचार पत्र को माध्यम बनाकर क्षेत्र में लूट का कारोबार कर रहे हैं….
हद तो तब हो गई जब यह पत्रकार/दलाल ने तहसील के तकरीबन सारी ग्राम पंचायतों में अपने संवाद सूत्र रखे हुए हैं जो इसके लिये 100 ,50 रुपये तक वसूल करते हैं और लूटे गये धन से अपना 20 प्रतिशत निकालकर शेष इसे पहुंचा देते हैं….इलाके में इस पत्रकार को हर्शद मेहता और नटवरलाल जैसे उपनामों से जाना जाता है। कुछ सालों पहले इसी पत्रकार ने बिजली विभाग के एक एसडीओ के साथ मारपीट की थी। जिसमें एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
दलाली और लूट के इस खेल में हिंदुस्तान समाचार पत्र का यह पत्रकार क्षेत्र के लिये विलेन बन चुका है…लेकिन इसकी लूट से जहां हिंदुस्तान समाचार पत्र की साख क्षेत्र में खराब हो रही है वहीं असली खबर भी दलाली के चलते या तो दब जाती है या फिर इसकी खबर किसी को ब्लैकमेल करके उसकी जिदगी बर्बाद कर देती है.








