ईटली की रोम युनिवर्सिटी की छात्रा ग्रेको लावरा इन दिनों हजारीबाग के कटकमसांडी प्रखंड अंतर्गत डोड़वा गांव में है। वह गांव के मूल निवासी एवं युवा ब्लॉगर संजय मेहता के विशेष आमंत्रण पर डोड़वा पधारी है। ग्रेको लावरा आदिवासियों के ग्राम्य जीवन स्तर को नजदीक से समझने में रूचि रखने वाली एक छात्रा है। वर्तमान में वे आदिवासी जीवनषैली की वेदना और कठिनाइयों को नजदीक से जानने की कोशिश कर रही हैं।
क्या है डोड़वा रेसीडेंसी ?
डोड़वा रेसीडेंसी संजय मेहता द्वारा शुरू किया गया एक रेसीडेंसियल कार्यक्रम है। इसके माध्यम से ग्राम्य जीवन स्तर , आदिवासी जीवन शैली , गांवों के परंपरागत रीति-रिवाज को नजदीक से जानने एवं समझने की कोषिष की जा रही है। इस रेसीडेंसी में देश – विदेश से वैसे अतिथियों को आमंत्रित किया जाएगा जो ग्राम्य जीवन स्तर के विकास के लिए अपने – अपने स्तर से रचनात्मक एवं जमीनी कार्य कर रहे हैं। इस क्षेत्र में रूचि रखने वालों को यह रेसीडेंसियल कार्यक्रम निः शुल्क अवसर उपलब्ध कराएगा। संजय मेहता द्वारा इस कार्यक्रम की शुरूआत बिना किसी सरकारी सहायता के व्यक्तिगत तौर पर की गई है। ग्रेको लावरा इस रेसीडेंसी की पहली अतिथि है। डोडवा रेसीडेंसी के बारे में बताते हुए संजय मेहता ने कहा कि यह अनोखा कार्यक्रम इस मायने में भी खास है कि जो भी अतिथि हमारे यहां विदेश से पधारेंगे वे अतिथि नहीं बल्कि एक घरेलू सदस्य होंगे। उन्हें रेसीडेंसी में गांव के मौलिक जीवन स्तर के बीच समय बिताना होगा साथ ही भोजन भी गांव की शैली में ही करना होगा। इसके पीछे उद्देश्य यह है कि जो भी इस विषय को समझने की कोशिश करें उन्हें विषय की सत्यता और भावनात्मकता से अंदर तक जोड़ा जाए। उन्होंने बताया कि यह एक ऐसा प्रयास है जिसके माध्यम से गांव की संस्कृति को दूसरे देषों से परिचय कराना है।
क्या है रेसीडेंसी का लक्ष्य ?
रेसीडेंसी के रचनात्मक प्रयासों के माध्यम से आदिवासियों एवं ग्रामीणों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने की कोशिश की जाएगी। अतिथि अपने अनुभवों को लिखेंगे। उनके अनुभवों एवं विचारों के आधार पर एक बेहतर कार्ययोजना तैयार करने का लक्ष्य है। रिसर्च के माध्यम से रेसीडेंसी देश – विदेश के लोगों से जुड़कर कार्य करेगा।
कौन हैं संजय मेहता
हजारीबाग जिला निवासी 23 वर्षीय युवा संजय मेहता राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर के साथ काम कर चुके हैं। लॉ की पढ़ाई के कारण फिलहाल राजनीतिक प्रबंधन के काम से दूर हैं। पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नात्कोत्तर किया है। वर्तमान में युनिवर्सिटी लॉ कॉलेज,हजारीबाग के छात्र हैं। ‘अपनी दरिया’ नाम से ब्लॉग लिखते हैं। ऑल इंडिया लेखन प्रतियोगिता में इन्हें 2012 में मुंबई में सम्मानित किया जा चुका है। आदिवासी एवं ग्राम्य जीवन स्तर के उत्थान के लिए लगातार प्रयासरत हैं। आदिवासियों पर रिसर्च कर रहे हैं। सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के लिए लगातार नवीन पहल करने के लिए प्रयासरत हैं।