– सिद्ध सरहपा से आधुनिक युवा कवियों तक कोसी अंचल की काव्य परम्परा में निरंतरता रही है ।
– गौरवमयी रही है कोसी अंचल की साहित्यिक गरिमा, इतिहास कभी विराम नहीं लेता- शलभ
सहरसा/ प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम ‘राष्ट्रीय क्षितिज पर कोसी अंचल की युवा हिन्दी कविता’ विषयक परिचर्चा का शुभारंभ साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली के उपसंपादक देवन्द्र कुमार देवेश तथा अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ’ ने की। अयोजन के मुख्य अतिथि सुपौल से पधारे कवि अरविन्द ठाकुर थे। स्वगताध्यक्ष वंदन कुमार वर्मा एवं परिचर्चा सत्र का संचालन अरविन्द श्रीवास्तव व कवि सम्मेलन सत्र का रामचैतन्य धीरज ने किया।
श्री देवेश ने अपने वक्तव्य में कोसी अंचल की साहित्यिक विरासत को हिन्दी के प्रथम कवि सिद्ध सरहपा से जोड़ते एवं उसकी विकास यात्रा को स्पष्ट करते हुए प्रमुख कवियों और उनकी कविता प्रवृत्तियों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि वर्तमान समय में लगभग पांच दर्जन युवा कवि विभिन्न स्तरों पर सक्रिय हैं। उन्होंने दर्जन भर कवियों के विभिन्न प्रकाशित संकलनों का उल्लेख भी किया। अपने विचार की परिधि में उन्होंने नब्बे के बाद से अबतक सक्रिय युवा कवियों को शामिल किया तथा श्री कृष्ण मोहन झा, अरविन्द श्रीवास्तव, अमरदीप, अरुणाभ सौरभ, रमण कुमार सिंह, पंकज पराशर, पंकज चौधरी, शुभेष कर्ण, संजय कुमार सिंह, श्रीमती स्मिता झा आदि कवियों की रचनात्मक ऊर्जा एवं अवदानों को रेखांकित किया। उल्लेखनीय है कि श्री देवेश ने ‘कोसी की नई जमीन’ नामक कविता संकलन का संपादन भी किया है, जिसमें कोसी के 44 युवा कवियों की रचनाओं को संकलित किया गया है।
कवि अरविन्द ठाकुर ने कहा कि आधुनिक युवा कवियों में से अनेक ने अपनी वैश्विक पहचान बनाई है। इन्होंने तकनीकी की पुरातन उपकरणों से लेकर नवीनतम सूचना-संजाल का कुशलता से उपयोग किया है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिेष्ठ साहित्यकार हरिशंकर श्रीवास्तव ‘शलभ’ ने कहा कि इतिहास में निरंतरता होती है। इतिहास कभी विराम नहीं लेता। कोसी अंचल के आदि कवि सिद्धसरहपा से लेकर वर्तमान कवियों ने इस परम्परा को कायम रखा है।
बिहार प्रगतिशील लेखक संघ के मीडिया प्रभारी सह प्रवक्ता अरविन्द श्रीवास्तव ने कहा कि प्रलेस किसी दल विशेष का प्रतिनिधित्व नहीं करता बल्कि लेखक एवं रचनाकर्मियों की बात करता है। उन्होंने प्रलेस के इतिहास एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। प्रो. दिलीप कुमार सिंह ने कोसी क्षेत्र की साहित्यिक गरिमा से अवगत कराया।
इसके पूर्व शशि सरोजनी रंगमंच सेवा संस्थान के सचिव वंदन कुमार वर्मा एवं सहरसा प्रलेस के सचिव प्रो. देवनारायण साह ने अतिथियों का स्वागत बुके, पाग व अंगवस्त्र से किया।
आयोजन के दूसरे सत्र कवि सम्मेलन में डा. जीपी शर्मा, ए. जेड. खां झंझट, स्वाती शाकंभरी, शालिग्राम सिंह, रामचन्द्र प्रसाद सिंह, डा. बीके यादव, मुकेश मिलन आदि ने अपनी-अपनी कविताओं का पाठ किया। इस सत्र का संचालन रामचैतन्य धीरज ने किया। शशि सरोजनी रंगमंच सेवा संस्थान के संरक्षक अशोक कुमार वर्मा ने अतिथियों एवं श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन किया। आयोजन में कुंदन कुमार वर्मा, साकेत कुमार, सुदर्शन कुमार, माधव कुमार, मनोज भारद्वाज, रोशन झा, सुजीत सिन्हा, पुलिन्दर शर्मा आदि मौजूद थे।
– अरविन्द श्रीवास्तव, मधेपुरा