फूट डालो और राज करो की नीति को अपना रहा दैनिक हिन्दुस्तान

फूट डालो और राज करो की नीति को रोसड़ा में अपना रहा दैनिक हिन्दुस्तान,चाय-पान की दुकानों पर दिखाये जा रहे हैं बीट बंटवारे की अभिप्रमाणित प्रति
समस्तीपुर से शालीन की रिपोर्ट

अंग्रेजों के जमाने के जुल्मी जेलर तो अब नहीं मिलेंगे लेकिन अंग्रेजों के नक्शों-कदम पर चलने वाले बहुतेरे संस्थान आज भी फूट डालो और राज करो… की नीति पर अमल करते मिल जाते हैं। भारत का मशहूर मीडिया हाउस है एचएमवीएल! आज कल एचएमवीएल भी समस्तीपुर जिले के रोसड़ा में फूट डालो और राज करो का फर्मूला उपयोग कर रहा है जिससे स्थानीय पाठकों एवं व्यवसायी वर्ग में भ्रम की स्थिति बनी रहती है। स्थिति इतनी बुरी है कि हर बीट पर अगल-अलग रिर्पोटर की नियुक्त्ति की गई है। यहां प्रबंधन की नीयत यह है कि किसी भी रिर्पोटर का कद एक दूसरे से बड़ा नहीं हो चाहे इसके लिए जो कुछ भी क्यों न करना पड़े। हिन्दुस्तान एक दिन जिस खबर को अक्रामक ढ़ंग से छापता है ठीक दूसरे दिन उसके दूसरे रिर्पोटर के हवाले से दोषियों के बचाव में उससे भी बड़ी खबर प्रकाशित कर देता है। उदाहरण के तौर पर वन विभाग में गबन एवं फर्जीवाड़ा से संबंधित एक खबर को संजीव कुमार सिंह (तत्कालीन संसू एवं वत्र्तमान में नगर संवाददाता) द्वारा अक्रामक तेवर में ‘सूचना अधिकार की धज्जियां उड़ाते हैं अधिकारी’ शीर्षक से प्रकाशित किया गया था ठीक उसके तीसरे दिन शंकर सिंह ‘सुमन’ (एक प्रतिनिधि) द्वारा बाइलाईन न्यूज लगाकर संबंधित अधिकारी के बचाव हेतु उनके मनगढ़ंत पक्ष को प्रमुखता देकर गबनकत्र्ता का हरसंभव बचाव किया। हिन्दुस्तान का यह कारनामा सजग पाठकों से छिप नहीं सका और इस प्रकरण के बाद स्थानीय स्तर पर हिन्दुस्तान की भद्द पिट गई। ये तो हुआ एक उदाहरण लेकिन इस प्रकार के कई उदाहरण हैं जिसे यहां प्रस्तुत करने से हिन्दुस्तान की प्रतिष्ठा और भी धूमिल हो सकती है।

समस्तीपुर कार्यालय द्वारा यहां के रिर्पोटरों के बीच बीट के बंटवारा की चर्चा स्थानीय स्तर पर प्रमुखता से हो रही है। खुद को ‘हिन्दुस्तान’ का विशेष फोटोग्राफर कहनेवाला एक शक्श बीट बंटवारे के दस्तावेज (ब्यूरो प्रमुख के हस्ताक्षर से जारी) को सड़क, चाय-पान की दुकान एवं विभिन्न सरकारी गैर सरकारी कार्यालयों में दिखाते फिरते हैं। जिससे कि हिन्दुस्तान की प्रतिष्ठा चाय-पान की दुकानों तक पहुंच गई है। खबर मिली है कि तीन रिर्पोटरों से कोई भी ब्यूरो चीफ द्वारा किये गये बीट बंटवारे से संतुष्ट नहीं हैं। स्थानीय स्तर पर धारदार समाचार देकर तीखे तेवर के लिए जाने जानेवाले संजीव कुमार सिंह के पर अब कुतर दिये गये हैं। यहां बता दें कि हिन्दुस्तान एवं संजीव कुमार सिंह की बदौलत रोसड़ा के तत्कालीन एसडीओ सुनील कुमार, एडीएसओ अरविन्द कुमार आदि पर न्यायालय के आदेश पर प्राथमिकी दर्ज हुई थी और मामले का ट्रायल जारी है। इस प्रकरण में ‘हिन्दुस्तान’ की साख में वृद्धि हुई थी लेकिन एक बड़ी साजिश के तहत संजीव सिंह के पर को अब कुतर दिया गया है। वहीं एनजीओ चलानेवाले शंकर सिंह सुमन को प्रशासनिक खबर की जिम्मेवारी सौंपी गई है। एक एनजीओ चलानेवाला शक्स कहां तक प्रशासनिक खामियों एवं गलतियों का समाचार प्रकाशित कर सकता है, इसका अंदाजा सहजता से लगाया जा सकता है। क्योंकि एनजीओ चलानेवाले खुद शीशे के घरों में रहते हैं और शीशे के घरों में रहनेवाले दूसरों पर पत्थड़ नहीं फेका करते हैं।

पांच महीने तक हिन्दुस्तान का बहिष्कार कर उसके खिलाफ साजिश रचनेवाले तीसरे रिर्पोटर बेगूसराय जिला निवासी हेमन्त कुमार (एक संवाददाता) की पुर्नवापसी जातीय-दांवपेंच के आधार पर हुई है। इनकी पुर्नवापसी से प्रतिस्पद्र्धी अखबार के रिर्पोटरों की बांछे खिल गई है। क्योंकि इनके जिम्मे क्राईम खबरों की जिम्मेवारी है और ये अपराधिक खबरों के लिए अन्य अखबारों के रिर्पोटर पर निर्भर रहते हैं। इसके अलावे रोसड़ा में हिन्दुस्तान के दो-दो फोटोग्राफर भी आपस में एक दूसरे की खिंचाई हेतु कोई कोर-कसर बांकी नहीं छोड़ रहे हैं। कुल मिलाकर तीन रिर्पोटरों और दो फोटोग्राफरों के बीच इतनी ज्यादा खींचतान और करूआहट भरे संबंध हैं कि अब आमलोग भी हिन्दुस्तान के ‘फूट डालो और राज करो की नीति को बखूबी समझने लगे है और रोसड़ा में हिन्दुस्तानियों को लोग अजब-गजब नामों से जानने और पहचानने लगे हैं।

जय हो हिन्दुस्तान की!!

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