बॉलीवुड में घटिया फिल्म बनाने का प्रचलन खत्म नहीं हुआ है. इसी कड़ी में नयी फिल्म है सन्नी लियोन की ‘जैकपॉट’. लेकिन फिल्म समीक्षकों की माने तो बॉक्स ऑफिस पर फिल्म का जैकपॉट नहीं लगने वाला है. आइये आपको बताते हैं कि किस फिल्म समीक्षक ने क्या कहा? लेकिन उसके पहले संक्षेप में जान लीजिए इसकी कहानी.
जैकपॉट की कहानी
‘जैकपॉट’ एक सस्पेंस थ्रिलर फ़िल्म है. बॉस (नसीरुद्दीन शाह) गोवा में एक कसीनो का मालिक है. वो फ्रांसिस (सचिन जोशी), माया (सनी लियोनी), एंथनी (भरत निवास) और कीर्ति (एल्विस) के साथ अपने ही कसीनो में ग़लत तरीक़े से पांच करोड़ रुपए का जैकपॉट जीतने की साज़िश रचता है. वो अपनी साज़िश में कामयाब भी हो जाता है लेकिन फिर साज़िश में शामिल लोग ही एक दूसरे पर रुपए हड़पने का आरोप लगाने लगते हैं. जिससे वो एक-दूसरे के ख़ून के प्यासे हो जाते हैं.
बैनर : वाइकिंग मीडिया एंड एंटरटेनमेंट प्रा.लि.
निर्माता : रैना सचिन जोशी
निर्देशक : कैजाद गुस्ताद
संगीत : शरीब साबरी, तोशी साबरी
कलाकार : सनी लियोन, सचिन जोशी, नसीरुद्दीन शाह, मकरंद देशपांडे
सेंसर सर्टिफिकेट : ए * 1 घंटा 32 मिनट
समीक्षकों की राय
- कोमल नाहटा, वरिष्ठ फ़िल्म समीक्षक (बीबीसी)
रेटिंग: *
जैकपॉट एक बेकार फ़िल्म है. और बॉक्स ऑफ़िस पर इसका जैकपॉट लगना नामुमकिन है. कैज़ाद गुस्ताद ने बहुत ही उलझा हुआ स्क्रीनप्ले लिखा है. फ़िल्म बार-बार फ़्लैशबैक में चली जाती है जिससे दर्शकों की उलझन बढ़ती ही चली जाती है. फ़िल्म एक सस्पेंस थ्रिलर है लेकिन कभी भी सस्पेंस उस स्तर तक नहीं पहुंच पाता कि दर्शकों को दांतो तले उंगलियां दबाने पर मजबूर कर दे. स्क्रीनप्ले की तरह कैज़ाद गुस्ताद का निर्देशन भी बचकाना रहा है. वो लोगों को रोमांचित करने में नाकामयाब रहे हैं. नसीरुद्दीन शाह जैसे उम्दा कलाकार को ऐसा बेहूदा रोल करते देखना बड़ा तक़लीफ़देह रहा. सचिन जोशी साधारण रहे हैं. फ़िल्म के कई सीन बड़े बचकाने हैं,
- वेबदुनिया
रेटिंग : 0.5/5
जैकपॉट फिल्म हर डिपार्टमेंट में घटिया है। इसका सबसे अच्छा हिस्सा वो है जब स्क्रीन पर ‘द एंड’ लिखा आता है। फिल्म की स्क्रिप्ट निहायत ही बकवास है। फिल्म में नसीरुद्दीन शाह का कैरेक्टर इतना मूर्ख है कि अपने पैसे वसूलने के लिए वह उसी नाव में छेद कर देता है जिस पर वह खड़ा है। वह इतना भी नहीं जानता कि पैसे मिल जाएंगे तो भी वह जीवित नहीं रह पाएगा।