होली और दिवाली के अगले दिन टीवी न्यूज वालों के लिए खबरों का श्रोत सूख जाता है …..अखबार जो नहीं आता है …रिपोर्टर का तो ये हाल होता है कि कहां से लाऊं …क्या लाऊं …डे प्लान में क्या लिखाऊं …अपने बॉस को कौन सी खबर बताऊं …
प्रोडयूसर का ये हाल होता है कि बुलेटिन में नया क्या करुं …और हम जैसों की हालत ये होती है कि दफ्तर में कैसे बताऊं कि आज ये करो या वो करो …हम जैसे लोग अक्सर 12-14 अखबार देखकर उसमे अपना कुछ मिलाकर चार – छह आइडिया दे देते हैं …लेकिन दिवाली के अगले दिन इसकी भी गुंजाइश नहीं होती …अखबार जो नहीं आता है ….सुबह की शुरुआत ऐसे ठंढेपन से होती है कि पूछिए मत ……..
(न्यूज़24 के मैनेजिंग एडिटर अजीत अंजुम के एफबी वॉल से साभार)