शिवनाथ झा
शारीरिक वनाम मानसिक बलात्कार:भारत के पत्रकारबंधु के लिए,विशेषकर महिला-पत्रकार जो कहानी ‘गढ़ते” है:लड़की किसी भी सम्प्रदाय की हो, तकलीफ सबों को एक-सामान होती है.
समाचार पत्र के संवाददाता, संपादकगण, टीवी चैनल के महानुभावों से एक अनुरोध है – किसी भी बलात्कार से सम्बंधित समाचार में जैसे भारत के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के तहत महिला का तस्वीर छापना वंचित है, उसी तरह जब हेड-लाइन लिखें तब “हिन्दू लड़की, मुस्लिम लड़की, क्रिश्चन लड़की. सिख लड़की का बलात्कार” शब्द का इस्तेमाल नहीं करें।
बलात्कार को भी “धर्म, जाति, संप्रदाय” से नहीं जोड़ें क्योंकि “लड़की किसी भी सम्प्रदाय की हो, तकलीफ सबों को एक-सामान होती है, और आपका यह “भडकालु हेड-लाईन समाज का मानसिक बलात्कार” में उतने ही भागीदार होते हैं।
अगर यह पोस्ट आपको गलत लगे तो लिखने में कोई कोताही नहीं करेंगे परन्तु इसे LIKE बटन दबाकर छोड़ेंगे नहीं.
(स्रोत-एफबी)