सोशल मीडिया पर जिस पत्रकार को जितनी गालियाँ मिले वो उतना लोकप्रिय माना जाता है. राजदीप और रवीश जैसे बड़े पत्रकार सोशल मीडिया के गालियों का रोना भी रोते हैं और उसी में घुसे भी रहते हैं. लेकिन जब गालियाँ कम पड़ती है तो जान-बूझकर कुछ ऐसा लिखते हैं ताकि गालियाँ पड़े ही पड़े. नहीं तो उन्हें लगता है कि अपनी टीआरपी कम हो गयी. आजकल वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश उर्मिल भी उन्हीं के नक़्शे कदम पर चल पड़े हैं. गालियों से टीआरपी बढ़ने का गणित उन्हें भी मालूम पड़ गया है. तभी उन्होंने एक स्टेट्स लिखा –
“हां, आप मुझसे नफरत कर सकते हैं क्यों कि मैं युद्ध से प्रेम नहीं करता, उससे नफरत करता हूं। सिर्फ किताबें पढ़कर ऐसा नहीं करता। मैंने पत्रकार के रूप में एक युद्ध(करगिल-1999) भी कवर किया है। मैंने युद्ध होते हुए देखा है। गावों को तबाह होते देखा है। कस्बों को खाली और उदास होते पाया है। जिन्दगी को अचानक थमते देखा है।”
लेकिन उनके इस स्टेटस पर किसी तरह की नफरत नहीं फैली और न आलोचनात्मक टिप्पणी आयी. लेकिन जैसे ही इस स्टेट्स को इंडिया टीवी के मैनेजिंग एडिटर अजीत अंजुम ने शेयर किया कि सोशल मीडिया के रणबांकुरे उनकी खबर लेने लगे और ऐसे उर्मिलेश की नफरत की चाह पूरी हुई. देखें कुछ स्टेट्स :
Mahendra Rajpurohit Narwa Purohitan Urmish babu ye bat to pak ko to samghao
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Dharmendra Choudhary
Dharmendra Choudhary ये उर्मिलेश पत्रकार की खाल में छिपा वामपंथी एजेंट है।
इसका एकमात्र मकसद भारत का नुकसान करना है।
भारत हमेशा से सबसे शांतिप्रिय देश रहा है।
परंतु कोई जब बेवजह लड़ने पर आ जाए तब पीछे हटना कायरता है।
बेहतर होगा उर्मिलेश ये प्रवचन अपने पाकिस्तानी आकाओं को दें।
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Randhir Singh
Randhir Singh कल तक ताने मार रहे थे अंजुम जी मोदी के केरल में दिए हुए भाषण के उप्पर पोस्ट पे पोस्ट चेपे जा रहे थे, कब मोदी बदला लेगा के नाम पे ताने मार रहे थे और आज युद्ध की परेशानिया बताने लगे।
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Lucky Bhalla
Lucky Bhalla सारे सिखाने वाले इसी देश को क्यों सिखाते हैं।क्या भारत खुद से अलग हुआ था धर्म को लेकर ?? मज़हब के नाम पर देश बाँट दिए लोगों ने उसके बाद भी नसीहत हमें ही क्यों ?? इतना तो उनको नसीहत देने वाले नहीं होंगे जिन्होंने धर्म के नाम पर देश बाँट दिया।
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