उमेश चतुर्वेदी, पत्रकार
पत्रकार की डायरी : अटल बिहारी वाजपेयी से वो मुलाक़ात
प्रधानमंत्री बनने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी से तीन बार नजदीक से मिलने का मौका मिला..एक बार प्रधानमंत्री निवास में दीनानाथ मिश्र के व्यंग्य संग्रह के विमोचन के मौके पर, दूसरी बार पत्रकारों के लिए संसद भवन में बनी रेलवे की कैंटीन में उसके उद्घाटन के दौरान और तीसरी बार संसद के गलियारे में टी बोर्ड की चाय की दुकान पर..
रिपोर्टर के तौर पर तो अनगिनत बार रिपोर्ट किया..लेकिन सबसे छूने वाली मुलाकात तीसरी रही..हुआ यह कि दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की गवर्निंग बॉडी में संसद सदस्यों के कोटे का चुनाव हो रहा था..वाजपेयी कमरा नंबर 51 में बने बूथ पर बतौर सांसद वोट डालने जा रहे थे..संसद के बजट सत्र का दूसरा हिस्सा चल रहा था..इसी बीच ममता बनर्जी को मंत्रिमंडल में शामिल होना था..लेकिन अपनी किसी तुनक की वजह से वह शामिल नहीं हो पाई थीं। इसे लेकर टीबोर्ड की चाय की दुकान पर पत्रकारों के बीच पत्रकारीय चर्चा जारी थी। इसी दौरान वाजपेयी के वहां से गुजरते वक्त सादी वर्दी में सुरक्षा कर्मचारी तैनात होने लगे..
थोड़ी देर बाद वाजपेयी आए तो एक वरिष्ठ महिला पत्रकार..अदिति फड़नवीस ने उनसे ममता के बारे में सवाल पूछा…लेकिन पत्रकारों के पास तैनात सुरक्षा कर्मी ने घुड़क कर उन्हें बोलने से मना कर दिया..वे और साथ में खड़ी एक और महिला पत्रकार चुप हो गईं..
सुरक्षाकर्मी की यह घुड़क उस वक्त रिपोर्टर रहे मेरे मन को चुभ गई और जब वाजपेयी वोट डालकर लौटे और करीब दस फीट की दूरी पर थे..तभी मैं चिल्ला पड़ा – वाजपेयी जी आपको हमारे पास आना होगा..आवाज की तुर्शी कहें या फिर कुछ और…वाजपेयी जी भांप गए कि कुछ गड़बड़ है..वे मुस्कुराते हुए मेरे पास आए..उनके आते ही मैंने ममता से जुड़ा सवाल पूछना चाहा..मेरा सवाल पूरा हो पाता कि उन्होंने खास मुस्कुराती अदा से कहा..बाहर बड़ी गर्मी है भाई..और आप लोग यहां खड़े हैं..मेरी तरफ मुखातिब हुए और बोले..अंदर चलिए प्रेस गैलरी में…
आडवाणी जी कश्मीर पर कुछ बोलने वाले हैं..आपकी खबर तो वहां हैं..यहां यह बताना गैरजरूरी है कि तब पत्रकारों को घुड़कने वाला सुरक्षा अधिकारी खिसियानी मुस्कुराहट चेहरे पर ओढ़ने के लिए मजबूर हो गया…जन्मदिन पर हार्दिक बधाई वाजपेयी जी.
(स्रोत – एफबी)