मयंक सक्सेना
मुझे याद है एक बार न्यूज़ 24 में काम करते वक़्त अचानक से कम्प्यूटर, कुर्सियां, छत सब कुछ तेज़ी से हिलने लगा…अचानक से अफरा-तफरी मची कि भूकम्प आया है…इतने तेज़ झटके थे कि हम में से 99 फीसदी लोग एक दूसरे को आवाज़ देते हुए बाहर भागे…
लगभग सभी लोग बाहर निकल गए…और काफी देर तक अंदर आने की हिम्मत नहीं जुटा पाए…दो-तीन लोगों के इंतज़ार में मैं अंदर ही रहा क्योंकि बिना उनके बाहर आए, ख़ुद बाहर जा कर जान बचा लेने का दिल नहीं हुआ…
और आपको पता है…ये तीन-चार लोग बाहर क्यों नहीं आ रहे थे…और ये कौन थे…नाम लेना चाहता हूं…. ये थे Waqar Panjtan Zahid Abbas और Shaktiraman Kumar Prasad…और उस वक़्त कोई बुलेटिन भी नहीं चल रहा था…
ये तीनों लोग टिकर की टीम का हिस्सा थे…और आप लोगों के लिए उस वक्त, जब तेज़ झटके लग रहे थे…और सब बाहर भाग रहे थे, ये तीन लोग ब्रेकिंग न्यूज़ टाइप कर रहे थे…डीटेल्स ले रहे थे…और काम पूरा कर के ही बाहर निकले…ज़ाहिर है बाकी सभी चैनल्स में भी टिकर की टीम इसी तरह से काम कर रही होगी…
आपको तो पता ही होगा कि भूकम्प के झटके सेकेंड्स में ही अपना काम करते हैं…और आपको लगता है कि टीवी न्यूज़ में काम करने वाले लोग कुछ करते ही नहीं…ज़ाहिर है हम वो करते रहे हैं, जो आप सोच भी नहीं सकते हैं…कम से कम कर्मचारी तो ईमानदारी से काम करते ही हैं…और हां, मीडिया मालिक और सम्पादक बेईमान हैं, मौकापरस्त हैं…लालची हैं…लेकिन कर्मचारी…वो बेहद मेहनती है…श्रम से कम मूल्य पाता है और शिफ्ट से ज़्यादा काम करता है…
टिकर की ऐसी सारी टीम्स को सलाम… (स्रोत-एफबी)