सुशांत झा
1.जबसे हरियाणा के मुख्यमंत्री-to be के तौर पर खट्टर साब का नाम आया है, बहुत सारे पत्रकार उस बिहारी नेता को खोजने में लगे हैं जो गाहे-बगाहे बड़े मोदी का रुममेट रहा हो। सुना है छोटे मोदी परेशान हैं।
2. इधर रविशंकर प्रसाद ने गुप्त रूप से दावा किया है वो कुछ दिनों के लिए बड़े मोदी के रुममेट रहे हैं।
3. बिहार के भूमिहारों का कहना है कि वो किसी CPI-ML के नेता को सीएम स्वीकार कर लेंगे लेकिन सुशील मोदी को नहीं।
4. ब्राह्मणों का अलग दर्द है। सुशील मोदी बिहार में ब्राह्मण नेतृत्व उभरने नहीं देते। ऐसे में ब्राह्मणों की राय भी भूमिहारों के साथ होती जा रही है।
5.अब चूंकि भूमिहार, मोदी का विरोध कर रहे हैं-ऐसे में कुछ राजपूत सुशील मोदी के साथ आ गए हैं। वैसे भी राजपूतों का पूरा वोट बीजेपी को मिलता नहीं है।
6. कथित अगड़ी जाति की आमतौर पर पूरे समाज में स्वीकार्यता कम है। और कोई वैसा विराट कद का है भी नहीं। सुशील मोदी को इसी लाभ मिलता रहा है-क्योंकि तमाम पिछड़े नेता भी उनके सामने कद में कमजोर है।
7. सुशील मोदी के पास सिर्फ कद है और संगठन में पुराने लोग। लेकिन जब चुनावी जीत बड़े मोदी के नाम पर हो सकती है-जिसका नीतीश कुमार से झगड़ा हुआ था-और सुशील मोदी चुप्पी साध गए थे-ऐसे में उनके साथ कोई राजनीतिक अनहोनी हो जाए तो क्या आश्चर्य?
(स्रोत-एफबी)