संजय बेंगानी
एक बार फिर अल्पसख्यंको की भावनाएं आहत हुई है. इस बार जैनियों (अब अल्प संख्यक है) की भावनाएं आहत हुई है.
मामला है दूरदर्शन पर भगवान महावीर पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक पर कुछ जैनाचार्यों ने आपत्ति उठाई और मामला केन्द्रिय मंत्री तक पहुँचा और अब महावीर पर धारावाहिक का प्रसारण नहीं होगा.
आपत्ति क्या थी? तो भगवान का किरदार को इनसान कैसे निभा सकता है. यह शास्त्र-संमत भी नहीं है.
मेरी समझ में यह नहीं आ रहा कि भगवान का चरित्र निभाने क्या भगवान आ सकते है?
भगवान पर नाटक करना शास्त्र-सम्मत नहीं है तो भगवान की प्रतिमाएं स्थापित करना और देवालय बनवाना क्या जैन शास्त्र-सम्मत है?
(बचपन में जब टीवी था नहीं और सिनेमा उपलब्ध नहीं था, तब एक नाटक देखा था चन्दनबाला पर, उसमें भगवान महावीर का चरित्र भी था. मगर तब भावनाएं छुईमुई नहीं थी)
(स्रोत-एफबी)