दिलीप मंडल,प्रबंध संपादक,इंडिया टुडे
आंदोलन या उपद्रव में अगर कैमरा पुलिस वालों के पीछे है तो हंगामा करती भीड़ दिखेगी और अगर कैमरा भीड़ के पीछे हैं और क्रूर लाठीबाज-गोलीबाज पुलिस नजर आएगी.
कैमरा अक्सर पुलिस वालों के पीछे या साथ होता है.
इसी तरह किसी रैली की भीड़ को कम या ज्यादा दिखाया जा सकता है. कैमरे की ऊंचाई भर से यह तय हो सकता है. क्लोज अप शॉट से भीड़ को बेअसर किया जा सकता है.
इसी तरह किसी भी आंदोलन का राष्ट्रीय बनाया जा सकता है.
(नोम चोमस्की को पढ़िए)