अनुराधा मंडल
आश्चर्य हुआ देखकर कि आजतक खुद डेंगू के कथित खौफ को बढ़ाने का काम कर रहा है, इस दावे के साथ कि उनका ‘स्टिंग ऑपरेशन’ इस खौफ को हटाने के लिए है। जब डॉक्टर साफ कह रहे हैं कि 10 हज़ार से कम प्लेटलेट और साथ ही खून के दूसरे संबंधित पैरामीटर खतरे की रेंज में नहीं आते, मरीज को भर्ती या प्लेटलेट चढ़ाने की कोई जरूरत नहीं है। पर आजतक कहता है, आप मरीज की हालत की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं। क्या मज़ाक है।
ऐंकर/पत्रकार महोदय, पहले खुद तो थोड़ा विषय और हालत को समझ लीजिए, तब कहिए कि डेंगू से सचमुच कब और कितना डरना, पैनिक होने की जरूरत है। बिना वजह पब्लिक के डर को बढ़ावा न दीजिए।
स्वास्थ्य, विज्ञान आदि तो हमारे लिए मीडियाकी विशेषज्ञता से बाहर की बातें हैं। राजनीतिक जोड़-तोड़ और बाजार के उठाव-गिराव के जुमलों को जपना जिसने सीख लिया, पत्रकार हो गया। जन-स्वास्थ्य पर अच्छी खबरें बहुत कम मिलती हैं, टीवी पर तो और भी कम।
(स्रोत – एफबी)