रायपुर, 09 सितंबर 2013 छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा है कि मीडिया की स्वतंत्रता को खत्म करने का प्रयास लोकतंत्र में कभी सफल नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि भारत में अलग-अलग समय में मीडिया की अलग-अलग भूमिका देखी गई है। स्वतंत्रता आंदोलन में राष्ट्रीय चेतना के विस्तार और जनजागरण में निश्चित रूप से उसकी अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका थी। आजादी के बाद से अब तक भारतीय मीडिया लगातार अपनी स्वतंत्र और निष्पक्ष भूमिका निभा रहा है। मीडिया की सकारात्मक रिपोर्टिंग की वजह से छत्तीसगढ़ की नक्सल समस्या को लेकर राज्य के बाहर के लोगों का भ्रम काफी हद तक दूर हुआ है। अब राष्ट्रीय मीडिया में छत्तीसगढ़ की चर्चा हमारी सार्वजनिक वितरण प्रणाली के आदर्श मॉडल और हमारे खाद्य सुरक्षा एवं पोषण सुरक्षा कानून को लेकर हो रही है।
मुख्यमंत्री ने आज दोपहर राजधानी रायपुर में नई दिल्ली की मासिक पत्रिका ‘तहलका’ के छत्तीसगढ़ संस्करण का विमोचन करते हुए इस आशय के विचार व्यक्त किए। विमोचन समारोह में आयोजकों ने ‘मीडिया की स्वतंत्रता क्यों होनी चाहिए’ विषय पर एक विचार गोष्ठी का भी आयोजन किया।
मुख्यमंत्री ने विचार गोष्ठी में कहा कि लोकतांत्रिक समाज में मीडिया की स्वतंत्रता बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि मीडिया को लोक कल्याण की भावना के अनुरूप देश और समाज की समस्याओं को उजागर करने के साथ-साथ जनता की बेहतरी और राष्ट्र तथा राज्य के विकास के लिए हो रहे सकारात्मक कार्यों पर भी वैचारिक रिपोर्टिंग करनी चाहिए। उन्होंने छत्तीसगढ़ के संदर्भ में कहा कि हमारे यहां नक्सलवाद की समस्या जरूर एक गंभीर समस्या है। नक्सलवाद हमारे लोकतंत्र के लिए खतरनाक भी है, लेकिन यह छत्तीसगढ़ के एक छोटे हिस्से में सीमित है इसके बावजूद राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया में कुछ वर्ष पहले तक छत्तीसगढ़ को लेकर जो भी चर्चा होती थी वह अधिकांशतः नक्सल समस्या पर केन्द्रित रहती थी। राज्य के बाहर के लोगों को मीडिया में ऐसी चर्चा को देखकर और पढ़कर ऐसा भ्रम होता था कि हमारे यहां हर जगह नक्सल हिंसा हो रही है और रायपुर में एयरपोर्ट में उतरने के बाद जब भी यात्री शहर की ओर जाएंगे तो गोलियां चल रही होंगी और उन्हें सड़कों पर नक्सली खून खराबा करते मिलेंगे। ऐसी भ्रामक सोच से जनता को बचाने के लिए मीडिया सकारात्मक भूमिका निभा सकता है। यह अच्छी बात है कि अब राष्ट्रीय स्तर के मीडिया में भी छत्तीसगढ़ क़ी सार्वजनिक वितरण प्रणाली तथा यहां के खाद्य सुरक्षा कानून जैसे सकारात्मक पहलुओं को लेकर अच्छी चर्चा हो रही है और निष्पक्ष रूप से अच्छा लिखा और दिखाया भी जा रहा है। इससे छत्तीसगढ़ की नक्सल समस्या को लेकर राज्य के बाहर के लोगों में व्याप्त भ्रम काफी हद तक दूर हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नक्सल समस्या वास्तव में राष्ट्रीय समस्या है और छत्तीसगढ़ उसका पूरी दृढ़ता से और जिम्मेदारी के साथ मुकाबला कर रहा है और जब तक पूरे देश से यह समस्या खत्म नहीं हो जाती तब तक छत्तीसगढ़ इसका पूरी मुस्तैदी से मुकाबला करता रहेगा। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि आज नहीं तो कल छत्तीसगढ़ स़े नक्सल हिंसा शत-प्रतिशत खत्म होकर रहेगी और विकास की मुख्य धारा को हिंसा और आतंक के सहारे कभी भी रोका नहीं जा सकेगा। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ ने देश का पहला खाद्य सुरक्षा कानून बनाया है। इसमें हमारे यहां के 56 लाख परिवारों में 42 लाख गरीब परिवारों को हर महीने मात्र एक रूपए और दो रूपए किलों में 35 किलो अनाज, दो किलो निःशुल्क आयोडिन नमक, सिर्फ 5 रूपए किलो में दो किलो चना और मात्र 10 रूपए किलो में दो किलो दाल का कानूनी अधिकार मिल गया है। हमने अपने खाद्य सुरक्षा कानून में जनता के लिए पोषण सुरक्षा को भी जोड़ा है जबकि केन्द्र के खाद्य सुरक्षा कानून में ऐसी कोई बात नहीं है और यह निराशाजनक है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ ने खाद्य सुरक्षा कानून बनाने से पहले राज्य में कृषि उत्पादन, उपार्जन, भण्डारण और वितरण की एक पूरी खाद्य श्रंृखला तैयार की। उसके बाद हमने विधानसभा में विधेयक लाकर पक्ष-विपक्ष के बीच व्यापक विचार विमर्श के बाद यह कानून बनाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था इस पूरी खाद्य श्रृंखला पर आधारित है। इसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली सबसे आखिरी कड़ी है, जिसे हमने अब कानूनी स्वरूप में लाकर जनता को भोजन का अधिकार दिया है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए छत्तीसगढ़ के लिए खाद्य सुरक्षा कानून बनाना एक बड़ी चुनौती थी लेकिन हम इसमें सफल रहे। शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर और कुपोषण को खत्म करना भी हमारे लिए बड़ी चुनौती है। खाद्य सुरक्षा कानून के जरिए लोगों को भरपेट भोजन और पोषण की सुविधा देकर हम इस चुनौती का भी सफलता पूर्वक मुकाबला कर रहे हैं और इसमें भी हमें काफी कामयाबी मिल रही है। डॉ. रमन सिंह ने कहा कि केन्द्र ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली में उपभोक्ताओं को राशन के बदले नगद राशि हस्तांतरित करने का जो प्रस्ताव रखा है वह छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के लिए किसी भी दृष्टि से व्यावहारिक नहीं है। दूर दराज गांवों में बैंक और पोस्ट ऑफिस की संख्या कम होने के कारण केन्द्र की इस नगद राशि हस्तांतरण की योजना मनरेगा के मजदूर परिवारों और अन्य ग्रामीण परिवारों के लिए परेशानी का कारण बन सकती है।
डॉ. रमन सिंह ने यह भी कहा कि केन्द्र ने योजना आयोग के तहत खाद्य सुरक्षा कानून का प्रारूप बनाने की जिस कमेटी में मुझे रखा था, उसकी अंतिम रिपोर्ट में मैंने पीडीएस में नगदी हस्तांतरण के सुझाव पर अपनी आपŸिा और असहमति दर्ज कराई थी। छत्तीसगढ़ की विगत लगभग 10 वर्षों की तरक्की का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे यहां प्रति व्यक्ति बिजली की वार्षिक खपत 1547 यूनिट है जो देश के अनेक पुराने और विकसित राज्यों की तुलना में सबसे यादा है। निकट भविष्य में हमारे यहां बिजली की यह प्रति व्यक्ति सालाना खपत बढ़कर 1800 यूनिट हो जाएगी। यह निश्चित रूप से राज्य की जनता के रहन सहन में आ रहे बदलाव और लगातार हो विकास की निशानी है।
विमोचन समारोह में भारत सरकार के पूर्व सॉलिसिटर जनरल श्री विवेक तन्खा, ‘तहलका’ पत्रिका के मुख्य संपादक श्री तरूण तेजपाल और छत्तीसगढ़ संस्करण के श्री नीरज मिश्रा सहित अनेक प्रबुद्ध लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए। छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा, पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल, विधायक श्री अमितेष शुक्ला, रायपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष सुनील सोनी, राज्य सरकार के मुख्य सचिव श्री सुनिल कुमार, जनसम्पर्क और ऊर्जा सचिव श्री अमन कुमार सिंह तथा अन्य अनेक वरिष्ठ अधिकारी, पत्रकार और प्रबुद्ध नागरिक इस अवसर पर उपस्थित थे।