विकास के चुनावी नारों से विकास नहीं होता. बिहार का यजुआर गाँव इसका सबसे बड़ा उदाहरण है.वहां आज़ादी के इतने वर्षों बाद भी अबतक बिजली नहीं पहुंची है और बिजली के खंभे विकास पुरुष को मुंह चिढा रहे हैं.वरिष्ठ पत्रकार ‘मनीष ठाकुर’ की एक टिप्पणी –
बिहार का सबसे बड़ा गाँव कहलाता है मुजफ्फरपुर का यजुआर । आप दंग रह जाएंगे आज भी इस गाँव के लोगों को बिजली का मतलब नहीं मालूम। बरसात के कारण जुलाई से लेकर जनवरी तक यह गाँव और इसके आसपास के दस गाँव शहर से पूरी तरह से कट जाता है। लोकसभा चुनाव के समय एबीपी न्यूज चैनल ने इस गाँव तक बिजली न पहुंचने को लेकर आधे घंटे की स्टोरी की थी। तब भी बिहार सरकार की नींद नहीं टूटी। चैनल की स्टोरी के मुताबिक भी इस गाँव में बिजली सिर्फ इसलिए नहीं है क्यों कि यह गांव एक खास जाती की है लेकिन यहाँ से सांसद और विधायक हमेशा दूसरे खास जाति की रहे हैं! कितना दुखद है यह सच! लेकिन है। सच तो और भयावह है कि चालीस साल पहले इस गांव में बिजली के खंभे लग गए थे,तार लग गए थे। चालीस साल पहले ही पानी टंकी बन चुका था जो बिहार के गिने चुने गांव मे ही थे। फिर ऐसा क्या हुआ कि प्रदेश का सबसे बड़ा गांव अंधियारा का अभिषाप बन गया? नीतीश कुमार ने मुझ से कहा कि उन्हे सब पता है….बिहार के मुखिया को सब पता है फिर यह अभिशाप क्यों झेल रहा प्रदेश का सबसे विशाल गांव?
कल दिल्ली में कार्यक्रम के दौरान , बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मंच पर था तो कार्यक्रम के दौरान मैंने अपने गांव के इस दुखद दर्द को लेकर विकास पुरुष को एक पत्र सौंपा। जानकर आश्चर्य लगा की उन्हें सब पता था। यह उन्होने स्वीकार किया। सच यह है कि उन्हें सालो से यह पता है। एक बार फिर उन्होंने भरोसा दिलाया कि समस्या खत्म होगी। लेकिन सवाल यह है कि क्या जातिवाद के जिस डंस ने गाँव को बिजली से दूर अँधियारा में रखा है वो जातिवाद का मुद्दा विकासपुरुष के राज में खत्म हो जाएगा? नितीश कुमार का दावा था 2010 के विधानसभा चुनाव में कि जब तक बिहार के हर गांव में बिजली नहीं होगा वो वोट नहीं मांगेंगे लेकिन वे अपनी बात पर एक आम नेता की तरह ही कायम नहीं रहे। साइबर युग में किसी गाँव के लिए कलंक है बिजली का न होना। यह कलंक आपके उपर लाजमी इस लिए है क्योकि आप लगातार तीसरी बार राज्य के मुखिया हैं। कलंक भारी इसलिए क्योंकि उसका कारण गांव का किसी खास जाति का होना है। एक साख वाले नेता के लिए तो कलंक की बात है न विकास पुरष जी। हम इतना तो कह सकते है कि देश में गिने चुने नेता है साख वाले, जिसमे नितीश हैं। फिर उनके शासन में किसी गाँव के अँधियारा में रहने का ये कारण उनके लिए कलंक की बात है।हमने उन्हें यही एहसास कराया।