भला हो स्टिंग का, यशवंत देशमुख ने साफ कर दिया कि रफू हो सकता है, पैबंद नहीं लग सकता

न्यूज़ एक्सप्रेस के ‘ऑपरेशन प्राइम मिनिस्टर’ पर बिजनेस जर्नलिस्ट ‘राजीव रंजन  झा’ की एक प्रतिक्रिया :

राजीव रंजन  झा

 

yashwwant-deshmukhभला हो इस स्टिंग का, क्योंकि इससे यशवंत देशमुख (CVOTER) के लिए मेरे मन में इज्जत बढ़ी है। आज कम ही लोग होंगे, जो एक संभावित ग्राहक के सामने साफ-साफ कह सकते हैं कि हमारी लक्ष्मण रेखाएँ हैं और हमें उनकी इज्जत करनी है। भई, रफू हो सकता है, पैबंद नहीं लग सकता।

अच्छा हुआ कि यह स्टिंग हुआ, वरना मुझे भी लगता था कि शायद 100 को 125 या 75 भी कर दिया जाता होगा या कहीं कुछ काम किये बगैर टेबल पर बैठ कर भी रिपोर्ट बना दी जाती होगी। मार्जिन ऑफ एरर को 3% से बढ़ा कर 5% कर देना – उफ इतनी बड़ी रियायत और इतना बड़ा घपला!

ध्यान रखें, बात मार्जिन ऑफ एरर की हो रही है। मतलब यह कि अगर हम 100 सीटें बता रहे हैं तो शायद 3% कम हो जाये या ज्यादा हो जाये। यह नहीं कहा जा रहा कि 100 आ रही होंगी, लेकिन हम 105 (या 95) बता देंगे। बतायेंगे 100 ही, लेकिन कह देंगे कि मार्जिन ऑफ एरर 5% है।
भई, ये तो फुस्स पटाखा निकला। कुछ और है तो बतायें।

दिग्विजय जी, यह मार्जिन ऑफ एरर आप बढ़वा लेंगे तो भी 70 से 75 हो जायेंगे, और क्या!

इस स्टिंग के बाद सबसे ज्यादा आक्रामक प्रतिक्रिया कांग्रेस की है और स्टिंग में शामिल 11 एजेंसियों में सबसे ज्यादा तीखी प्रतिक्रिया सी-वोटर के खिलाफ है। संयोग से हाल के विधानसभा चुनावों में सी-वोटर सबसे ज्यादा मेहरबान कांग्रेस पर ही नजर आयी थी! दिल्ली में कांग्रेस को मिली 8 सीटें, सी-वोटर का आकलन था 20 का। राजस्थान में कांग्रेस सिमटी 21 पर, सी-वोटर ने भविष्यणावी की थी 48 की। मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने हासिल की 58 सीटें, सी-वोटर ने कहा था कि 92 मिलने वाली हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को 39 पर संतोष करना पड़ा, सी-वोटर का आकलन 41 का था।

स्टिंग की विश्वसनीयता बचेगी या सर्वे एजेंसियों की, यह तो बाद की बात है। लेकिन अभी तो कांग्रेस इस स्टिंग का इस्तेमाल करेगी सर्वेक्षणों पर प्रतिबंध की अपनी माँग को दमदार बनाने में। वह भविष्य में ऐसे प्रतिबंधों की मुखालफत का अपना सर्वाधिकार सुरक्षित रखेगी, 2004 की तरह।

(स्रोत-एफबी)

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